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रामपुर की 300 साल पुरानी रजा लाइब्रेरी का होगा कायाकल्प, संस्कृति मंत्रालय ने जारी की धनराशि

रामपुर की रजा लाइब्रेरी एंड म्यूजियम के कायाकल्प के लिए संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार ने एक पहल की है. इस ऐतिहासिक धरोहर के आकर्षण को पुनर्जीवित करने के लिए संस्कृति मंत्रालय की ओर से सचिव गोविंद मोहन ने म्यूजियम का निरीक्षण किया.

Rampur Raza Library and Museum
Rampur Raza Library and Museum

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Published : Aug 2, 2023, 9:03 AM IST

रामपुरःजिले की विश्व प्रसिद्ध रजा लाइब्रेरी जल्दी ही नए लुक में नजर आएगी. संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से इसके कायाकल्प के लिए 7.5 करोड़ रुपये जारी किये गए हैं. सरकार के इस पहल पर संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने मंगलवार को रजा लाइब्रेरी का निरीक्षण किया. इस दौरान उनके साथ मंडलायुक्त मुरादाबाद आंजनेय कुमार सिंह और शहर विधायक आकाश सक्सेना भी मौजूद रहे. रजा लाइब्रेरी के सूरत बदलने के लिए सचिव गोविंद मोहन ने रंग महल में एक बैठक भी की.

संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने रजा लाइब्रेरी का किया निरीक्षण.

बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय की प्रमुख संस्था रामपुर में स्थित है. रामपुर रजा लाइब्रेरी एंड म्यूजियम 300 साल से भी पुरानी है. यह एक ऐतिहासिक धरोहर है. यहां बहुमूल्य वस्तुएं किताबें और सिक्के रखी हैं. इसके अलावा पुरातत्व की और भी कई चीजे मौजूद हैं. इन सब चीजों को लेकर संस्कृति मंत्रालय में एक विचार हुआ है. इस संग्रहालय को इसका मूल्य आकर्षण को कैसे पुनर्जीवित किया जाए.

निरीक्षण के दौरान संस्कृति मंत्रालय सचिव के साथ विधायक और मंडलायुक्त भी रहे मौजूद.

संस्कृति मंत्रालय सचिव ने कहा कि इस लाइब्रेरी में जिस तरह से ध्यान देना चाहिए था. उस तरह से ध्यान नहीं दिया गया. इन सब चीजों को सही करना बहुत जरूरी है. इसी को सही करने के लिए संस्कृति मंत्रालय ने 7.5 करोड़ की धनराशि आवंटित की है. इस धनराशि से हम ये कार्य कराने जा रहे हैं.

गौरतलब है कि रामपुर की विश्व प्रसिद्ध रजा लाइब्रेरी में विभिन्न धर्मों और परंपराओं से संबंधित पुस्तकें हैं. इसेक अलावा यह इंडो-इस्लामिक ज्ञान और कला का भी खजाना है. इस पुस्तकालय की स्थापना रामपुर के नवाब फैज उल्ला खां ने 1774 में की थी. भारत की स्वतंत्रता के बाद जब रामपुर विरासत का विलय भारत गणराज्य में हो गया, तो इस पुस्तकालय का संरक्षण एक न्यास के अंतर्गत आ गया है. इस न्यास की स्थापना 6 अप्रैल 1951 को हुई थी. भारत सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री सैयद नुरुल हसन ने इस पुस्तकालय को 1 जुलाई 1975 को पुस्तकालय अधिनियम के तहत संसद में लाया.

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