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रामपुर: रंग लाई प्रशासन की मेहनत, जिला खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त

रामपुर जिले को बीते 2 अक्टूबर को ओडीएफ यानि खुले में शौच से पूरी तरह से मुक्त घोषित कर दिया गया. घर-घर में शौचालय बनाने के साथ ही प्रशासन ने लोगों को जागरुक करने में भी खूब पसीना बहाया. इतना ही नहीं बनाए गए शौचालयों की दीवारों पर पेंटिंग करवा कर इसे इज्जतघर का नाम भी दिया गया, जिससे कि महिलाएं इसका इस्तेमाल करने के लिए आगे आएं.

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Published : Mar 1, 2019, 10:45 AM IST

प्रशासन के अभियानों से जागरुक हुए लोग

रामपुर : स्वच्छ भारत अभियान के तहत जिले में शौचालय भी बनवाए गए और लोगों को इसके इस्तेमाल के लिए जागरूक भी किया गया. जिसके बाद अब जिले को ओडीएफ यानि खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है. इन शौचालयों की दीवारों पर पेंटिंग करके इनका नाम 'इज्जतघर' रखा गया है. यहां अब कोई खुले में शौच के लिए नहीं जाता है.

जिले के ओडीएफ होने के दावे कितने सही हैं, इसकी पड़ताल करने ईटीवी की टीम गांवों में पहुंची. मनकरा गांव के प्रधान पति काशिफ खान ने बताया कि जिले में सबसे पहले उनका ही गांव ओडीएफ घोषित किया गया था. इसके लिए लोगों को जागरुक करके उन्हें खुले में शौच से होने वाले नुकसानों के बारे में बताया गया. साथ ही प्रशासन ने भी इसके लिए कई अभियान भी चलाए.

प्रशासन के अभियानों से जागरुक हुए लोग

वहीं दीनपुर के प्रधान शेर सिंह यादव ने बताया कि पूर्व प्रधान ने गांव में 160 शौचालय बनवाए थे और उन्होंने 115 शौचालय बनवाए हैं. अब कोई भी खुले में शौच के लिए नहीं जाता है. सभी शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं और मोदी जी का धन्यवाद भी करते हैं. इसके साथ ही खुले में शौच से फैलने वाली बीमारियां भी अब कम हो रही हैं.

इसे लेकर जिले के मुख्य विकास अधिकारी शिवेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि हमारा जनपद 2 अक्टूबर को ओडीएफ घोषित हो गया है. प्रक्रिया के हिसाब से तीन महीने बाद तक जो भी कमियां प्रकाश में आती हैं या शिकायत या निर्माण में कमी आती है उसे पूरा कर लिया जाता है, वह भी पूरी हो चुकी है. इसके बाद भी अगर कोई पात्र लाभार्थी रह जाता है तो उसका शौचालय मनरेगा से बना सकते हैं. इसके अलावा भी कुछ सामुदायिक शौचालय बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि लोगों को हर तरह से जागरुक किया जा रहा है और अब इस समय कोई भी खुले में शौच को नहीं जा रहा है. प्रधान और सचिव के खाते में सीधा पैसा जाता है और लाभार्थी अपने-अपने शौचालय बना रहे हैं. बाकी जो शिकायतें आ रही हैं, उनकी समय-समय पर जांच की जा रही है.

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