रामपुर:सासंद आजम खां के खिलाफ कार्रवाइयों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. मुरादाबाद मंडल आयुक्त न्यायालय ने जौहर यूनिवर्सिटी को लेकर एक निर्णय दिया है. दरअसल यूनिवर्सिटी में चकरोड और सार्वजनिक भूमि की जमीनों को दूसरी जमीनों से बदले जाने का फैसला निरस्त कर दिया गया. इतना ही नहीं तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आदेश दिया गया है.
जानकारी देते एडीएम, वित्त एवं राजस्व. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां का ड्रीम प्रोजेक्ट मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी सरकार के निशाने पर है. जौहर यूनिवर्सिटी के बीच स्थित चक रोड और सार्वजनिक भूमि को दूसरी भूमि से बदलने के आदेशों को गलत ठहराया गया है. कमिश्नर मुरादाबाद में अपने फैसले में सार्वजनिक भूमि को दूसरी भूमियों से बदले जाने के आदेश में अनियमितता किए जाने को लेकर यह आदेश दिए.
यह मामला 2012 किसानों ने जौहर यूनिवर्सिटी पर चकरोड पर कब्जा करने और सार्वजनिक उपयोग की भूमि को जौहर यूनिवर्सिटी के अंदर शामिल कर लिए जाने की शिकायत की थी. दरअसल पूर्व एसडीएम टांडा रमेश चंद्र शुक्ला ने आदेश पारित करते हुए जौहर यूनिवर्सिटी के बीच आने वाले चकरोड और सार्वजनिक भूमि को अन्य भूमि से बदले जाने को स्वीकृत करते हुए आदेश दिए थे.
इसके बाद वह चकरोड जौहर यूनिवर्सिटी में शामिल कर ली गई थी. एसडीएम के तत्कालीन आदेशों को मंडलायुक्त मुरादाबाद में खारिज करते हुए डीएम रामपुर को तत्कालीन अधिकारियों विशेषकर गलत रिपोर्ट देने वाले तत्कालीन लेखपाल के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.
मंडल आयुक्त मुरादाबाद के इन आदेशों के बाद जौहर यूनिवर्सिटी में शामिल कर लिए गए चकरोड एक बार फिर सार्वजनिक उपयोग की भूमि माने जाएंगे. इन पर आम किसानों को गुजरने का अधिकार होगा. ऐसे में जौहर यूनिवर्सिटी की चार दीवारी से बाधित किए गए यह चकरोड अगर खोले जाते हैं, तो एक बार फिर जौहर यूनिवर्सिटी की चारदीवारी पर संकट खड़ा हो सकता है.