रामपुर: पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी और निचले इलाकों में हो रही बारिश, ओलावृष्टि से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. रुक-रुक कर हो रही बारिश ने गेहूं और मेंथा की फसल को बर्बाद कर दिया है, जिससे किसान काफी निराश और परेशान हैं.
दरअसल, उधार और कर्ज लेकर किसानों ने फसल लगाई थीं, अब बारिश और ओलावृष्टि होने से उसकी लागत भी चली गई. अब किसानों को सरकार से उम्मीद है कि वह उनकी कुछ मदद करे, जिससे उनको कुछ राहत मिल सके. यूपी के रामपुर सहित आसपास के कई जिलों में किसानों को काफी नुकसान हुआ है.
फसल बर्बाद होने की जानकारी देते किसान जिला कृषि अधिकारी सीपी सागर ने सभी तहसीलों में बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का सर्वे करने के आदेश दिए हैं. इसके अलावा किसानों से कहा है कि वह अपने नुकसान की सूचना जिला कृषि अधिकारी के कार्यालय में या सम्बंधित बीमा कंपनी को 72 घंटे में दें. इस मामले में सभी किसानों के नुकसान की जानकारी ली जा रही है.
इस बारे में जब किसानों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस बारिश और ओलावृष्टि से काफी नुकसान हुआ है. इससे सबसे ज्यादा गेहूं, सरसों और मेंथा की फसल को नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि ओलावृष्टि से सरसों का फूल झड़ने की सम्भावना है. गेहूं की फसल लेट गई है, जिससे उसके गलने की संभावना बढ़ जाती है. किसानों ने कहा कि पहले मेंथा की जड़ की कीमत तीन हजार रुपये थी, अब पांच सौ रुपये हो गई है.
किसान राजेश की गेहूं की फसल बर्बाद हो गई. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से कोई लाभ नहीं मिला है. खाद भी महंगी है, सरकार को इसे सस्ता करना चाहिए. उन्होंने बताया कि अभी तक कोई भी अधिकारी हमारी फसल देखने तक नहीं आया है. हम ने कर्ज लेकर फसल लगाई थी मगर बारिश और ओलावृष्टि से सब फसल बर्बाद हो गई.
इस मामले पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. लक्ष्मीकांत ने कहा कि ओलावृष्टि से फसल की जमीन को नुकसान पहुंचता है. इससे बचने के लिए किसानों को चाहिए कि वह अपनी फसलों की हल्की सिंचाई कर दें.