रामपुर :मोहम्मद आजम खान ने 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आपत्तिजनक भाषण दिया था. मामले में रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें 3 वर्ष की सजा सुनाई थी. इसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई थी. इसी के साथ उनका वोट देने का अधिकार भी छिन गया था. हालांकि उसके बाद अपीलीय अदालत एमपी एमएलए सेशन कोर्ट ने आजम खान को इस मामले में बरी कर दिया था. अब इस मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी के दबाव में आजम पर रिपोर्ट दर्ज कराने की चर्चाएं शुरू हो गईंं हैं. एफआईआर वापस लेने की भी बात सामने आ रही है. इन सभी सवालों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने एफआईआर दर्ज कराने वाले तत्कालीन कृषि अधिकारी और मौजूदा एडीओ पीपी शाहबाद अनिल कुमार चौहान से बातचीत की.
एडीओ पीपी शाहबाद अनिल कुमार चौहान ने बताया कि मिलक में 2019 के लोकसभा चुनाव था. उस समय उन्हें मिलक विधानसभा का वीडियो अवलोकन टीम का प्रभारी बनाया गया था. उनका काम था कि एनआईसी में बैठकर जो सीडी आती थी उसे कंप्यूटर में चला कर देखते थे. वीडियो में अगर कोई नेता गाली गलौज या भड़काऊ भाषण देता दिख जाता था तो एफआईआर कराते थे. उस समय आजम खान संयुक्त गठबंधन के प्रत्याशी थे.