रायबरेली:कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन के कारण किसानों पर आफत की बारिश हुई है. दो महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद सरकार ने एक जून से अनलॉक-1 की घोषणा की थी. कयास लगाए जा रहे थे कि छूट के साथ ही धीरे-धीरे हालात सामान्य होंगे और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे किसानों को राहत मिलेगी, लेकिन जिले में सब्जियों की पैदावार से जुड़े किसानों को अनलॉक में भी राहत नसीब नहीं हुई है.
कोरोना संक्रमण की बढ़ती संख्या पर सरकार ने सप्ताहांत लॉकडाउन लगाने का आदेश पारित किया, लेकिन सब्जी किसानों की समस्या जस की तस बनी हुई है. उन्हें अब भी सरकार से ठोस राहत की दरकार है.
अनलॉक में भी नहीं बदले किसानों के हालात
रायबरेली सदर तहसील के सलोन रोड निवासी कृषक रामशंकर कहते हैं कि कई पीढ़ियों से सब्जी किसानी का काम उनके घर में होता आया है, लेकिन ऐसा दौर न पहले कभी देखा और न ही कभी सुना था. लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर पैदावार नष्ट हो गई, अब अनलॉक में भी उम्मीदों के अनुरुप काम होता नहीं दिख रहा है.
उनका कहना है कि बड़े आयोजनों और कार्यक्रमों की मनाही का नतीजा यह रहा कि एक-दो नहीं, लगभग सभी उपज अपने औसत दामों से भी कम में बिकी और न बेचने के कारण बर्बाद भी हुई. शादी विवाह हुए ही नहीं और यदि हुए भी तो बहुत सीमित ही लोगों ने कार्यक्रम में शिरकत किया. होटलों और भोजनालयों में भी सब्जी की मांग में कमी रही. यही कारण रहा कि भारी नुकसान झेलना पड़ा. अभी तक के त्योहार भी फीके ही रहे.
सप्ताहांत लॉकडाउन से बढ़ी अव्यवस्था
जिले के रेती खुर्द गांव के किसान राम दयाल बीते 40 वर्षों से सब्जी उगाकर बाजार में बेचने का काम करते थे. यही उनकी आय का मुख्य स्रोत था, लेकिन इस बार कोरोना के कारण सब कुछ चौपट हो गया. लौकी, तरोई, भिंडी, टमाटर, मिर्ची जैसी तमाम किस्म की सब्जियों की खेती से ही उनका जीवन-यापन चलता रहा. इस बार लॉकडाउन के कारण सुबह तीन बजे उपज के साथ मंडी पहुंचने के नियमों से किसान त्रस्त हो गए.