रायबेरली: अमेठी लोकसभा के सलोन विधायक दलबहादुर कोरी का शुक्रवार तड़के कोरोना से निधन हो गया था. शनिवार को केंद्रीय मंत्री स्मृति बिना किसी पूर्व प्रोटोकॉल के रायबरेली पहुंची. विधायक के पैतृक निवास पहुंच कर परिजनों को सांत्वना देते हुए खुद केंद्रीय मंत्री भी भावुक हो गई. इस दौरान उनके चेहरे पर वेदना साफ तौर से झलक रही थी.
स्मृति ईरानी शनिवार को विधायक के गांव रायबरेली के डीह ब्लॉक के उदयपुर मजरे पदमनपुर बिजौली पहुंची. केंद्रीय मंत्री के कार्यक्रम में इस कदर गोपनीयता बरती गई कि स्थानीय पुलिस को भी इसकी खबर नहीं लगी. इस दौरान वह दिवंगत विधायक की पत्नी राजकुमारी से भी मिली. केंद्रीय मंत्री ने परिजनों को ढांढस बंधाते हुए कहा कि विधायक खुद उनके बड़े भाई थे और उनकी कमी आजीवन रहेगी.
दिवंगत विधायक के परिजनों को सांत्वना देने रायबरेली पहुंची स्मृति ईरानी. संघर्ष के दिनों के साथी रहे विधायक दल बहादुर कोरी
अमेठी में स्मृति ईरानी का शुरुआती सफर कांटो भरा रहा है. साल 2014 में जब वह पहली बार यहां से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने आई तो अमेठी में त्रिकोणीय मुकाबला था. दल बहादुर कोरी उसी दौर से भाजपा संगठन के सक्रिय कार्यकर्ता होने के नाते उनके साथ मजबूती से खड़े रहे. चुनाव के दौरान भी स्मृति ईरानी का भरपूर सहयोग दिया, हालांकि उस चुनाव में स्मृति ईरानी हार गई थी. बावजूद इसके मोदी सरकार में मंत्री पद मिलने के बाद वह लगातार स्थानीय लोगों से जुड़ी रही. इसी बीच 2017 के चुनाव में सलोन विधानसभा से खुद दल बहादुर कोरी विधायक चुने गए. साल 2019 में जब लोकसभा चुनाव आया तो एक बार फिर स्मृति ईरानी राहुल गांधी के खिलाफ मैदान में उतरी. अमेठी संसदीय सीट के चुनाव प्रचार की शुरुआत भी स्मृति ईरानी ने विधायक दल बहादुर कोरी के इलाके से ही की थी. पूरे चुनाव प्रचार के दौरान सलोन विधानसभा में अल्पसंख्यक बाहुल्य का स्मृति ईरानी को जबरदस्त समर्थन मिला और इसी का नतीजा रहा की मतगणना के दौरान उन्हें सलोन से बड़ी लीड भी मिली.
परिजनों से मिली स्मृति ईरानी. इसे भी पढ़ें-बीजेपी विधायक दल बहादुर कोरी का कोरोना से निधन
चुनाव जीतने के बाद भी अनवरत केंद्रीय मंत्री इस क्षेत्र में आती रहती थी. यही सब तमाम कारण थे कि स्मृति ईरानी व दल बहादुर कोरी के बीच अटूट रिश्ता था. लगभग सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों में बड़ी बेबाकी से विधायक दल बहादुर कोरी केंद्रीय मंत्री को दीदी कहकर संबोधित करते हुए अपने क्षेत्र की जनता की तमाम मांग पूरी करवा लेते थे. विधायक के कोरोना से बीमार होने के बाद भी केंद्रीय मंत्री लगातार उनके इलाज को लेकर सजग रही और अस्पताल में भर्ती होने के दौरान भी लगातार परिजनों से बात करती रही थी.