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मानकों को दरकिनार कर बना शौचालय, बीमारियों से अंजान हैं जिम्मेदार

ODF यानी 'ओपन डेफिकेशन फ्री' को लेकर सरकार भले ही तमाम दावे कर रही है, लेकिन जमीनी सूरत सरकार के स्वच्छता मिशन की पोल खोलती नजर आ रही है. जिले में मानक को दरकिनार कर शौचालयों के निर्माण करने कराया गया है, जिससे जल प्रदूषण बढ़ने का भी खतरा रहता है. वहीं जिम्मेदार अधिकारी जिले को ODF प्लस करने की तैयारी कर रहे हैं.

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शौचालय

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Published : Feb 22, 2020, 2:19 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

रायबरेलीः सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बन रहे शौचालयों का जायजा लेने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम महाराजगंज तहसील के जिहवा ग्राम में पहुंची तो नजारा कुछ अलग ही दिखा. पेयजल स्रोत से महज कुछ कदम की दूरी पर इज्जतघर दिखा. सरकारी फाइलों में 100 फीसदी ओडीएफ होने के आंकड़े लिखित में दर्ज हैं. जमीनी हकीकत से बेपरवाह अधिकारी अब प्रशासनिक बैठकों में ओडीएफ नहीं बल्कि ओडीएफ प्लस की बात कर रहे हैं, पर गंभीर बीमारियों की जद में जीवन जीने को मजबूर इन ग्रामीणों के जीवन मे बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है.

धांधली बन रही बड़ी समस्या
रायबरेली जनपद को ओडीएफ 2018 में ही घोषित कर दिया गया था. जब ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक किया तो जनपद में शौचालयों के निर्माण में जमकर हुई धांधली का खुलासा हुआ. यहां कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं. शौचालयों के निर्माण में धांधली के साथ सरकार द्वारा पर्याप्त धन नहीं मिलने की भी बात कही जा रही है, जिसके कारण शौचालय पूरी तरीके से बन ही नहीं पा रहा है. वहीं दूसरी तरफ बड़ी समस्या मानक की भी है.

पूरे गांव में एक से दो घरों में होता है शौचालय का प्रयोग
जिहवा गांव के निवासी देशराज कहते हैं कि लगभग सौ से ज्यादा घर इस गांव में है, लेकिन बमुश्किल 1 या 2 घरों में ही शौचालयों का प्रयोग होता है. नहीं तो ज्यादातर गांववासी खुले में शौच के लिए मजबूर हैं. वहीं गांव के बुजुर्ग धर्मवीर कहते हैं कि इज्जतघर के नजदीक हैंडपम्प नहीं होना चाहिए, लेकिन यहां है.

मानकों को दरकिनार कर बनाया गया शौचालय.

7 लोगों के बीच में बना एक शौचालय
अन्य ग्रामीणों ने भी तमाम तरह की समस्या बताई है. शीला का मायका इसी गांव में है और उनका कहना है कि उनके घर में अब तक शौचालय नहीं बना मजबूरी में बाहर ही जाना पड़ता है. वहीं छात्र मंजीत कहते हैं कि दरवाजा और गड्ढा न बनने के कारण इज्जतघर अभी भी अधूरा है और बाहर ही शौच के लिए जाना पड़ता था. 65 वर्षीय शांति कहती हैं कि 7 लोगों के बीच एक शौचालय का निर्माण हुआ है. उसी में सब कोई जाने को मजबूर है.

ग्राम प्रधान प्रतिनिधि ने उठाया जागरूकता का प्रश्न
वहीं इस संबंध में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि राम राज यादव से बात की गई तो उन्होंने ग्रामीणों पर आरोप मढ़ दिया. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा स्वच्छता को लेकर पहल की जा रही है, लेकिन कुछ ग्रामीण ऐसे हैं जो पुराने ढर्रे पर ही चल रहे हैं. बताया कि योजना के तहत 12 हजार शौचालय निर्माण के लिए पर्याप्त धनराशि न होने से पूरा काम नहीं हो पा रहा है. वहीं शौचालय निर्माण में मानकों के सवाल पर ग्रामीणों में जमीन का अभाव और मिस्त्रियों को जिम्मेदार ठहराया.

खंड विकास अधिकारी ने बताया सबकुछ है ठीक
रायबरेली के महाराजगंज ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि महाराजगंज विकास खंड में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 13506 शौचालयों का निर्माण पूरा हो चुका है. वहीं एलओबी के तहत 5734 का लक्ष्य निर्धारित है जिसके सापेक्ष करीब एक हजार शौचालयों का निर्माण ही शेष रह गया है, जिसे जल्द ही पूरा किया जाएगा. शौचालय के निर्माण में मानकों की अनदेखी के सवाल पर बीडीओ कहते ने कहा कि पेयजल स्रोतों के नजदीक इज्जत घर वहीं बने हैं, जहां सीमित जगह है. इसके अलावा ग्रामीणों को शौचालय और स्वच्छता के लिए जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

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पीने का पानी यदि दूषित सामग्री के संपर्क में आता है, तब निश्चित तौर पर शरीर घातक बीमारियों की चपेट में आ जाता है. डायरिया, पीलिया और टाइफाइड फीवर समेत कई खतरनाक बीमारियां दूषित पानी के प्रयोग से मानव शरीर को अपने गिरफ्त में ले सकती हैं. यही कारण है कि हमेशा पीने के पानी के स्रोत से टॉयलेट का निर्माण निर्धारित दूरी पर ही होना चाहिए.
-डॉ. एन.के. श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

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