रायबरेलीः सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बन रहे शौचालयों का जायजा लेने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम महाराजगंज तहसील के जिहवा ग्राम में पहुंची तो नजारा कुछ अलग ही दिखा. पेयजल स्रोत से महज कुछ कदम की दूरी पर इज्जतघर दिखा. सरकारी फाइलों में 100 फीसदी ओडीएफ होने के आंकड़े लिखित में दर्ज हैं. जमीनी हकीकत से बेपरवाह अधिकारी अब प्रशासनिक बैठकों में ओडीएफ नहीं बल्कि ओडीएफ प्लस की बात कर रहे हैं, पर गंभीर बीमारियों की जद में जीवन जीने को मजबूर इन ग्रामीणों के जीवन मे बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है.
धांधली बन रही बड़ी समस्या
रायबरेली जनपद को ओडीएफ 2018 में ही घोषित कर दिया गया था. जब ईटीवी भारत की टीम ने रियलिटी चेक किया तो जनपद में शौचालयों के निर्माण में जमकर हुई धांधली का खुलासा हुआ. यहां कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं. शौचालयों के निर्माण में धांधली के साथ सरकार द्वारा पर्याप्त धन नहीं मिलने की भी बात कही जा रही है, जिसके कारण शौचालय पूरी तरीके से बन ही नहीं पा रहा है. वहीं दूसरी तरफ बड़ी समस्या मानक की भी है.
पूरे गांव में एक से दो घरों में होता है शौचालय का प्रयोग
जिहवा गांव के निवासी देशराज कहते हैं कि लगभग सौ से ज्यादा घर इस गांव में है, लेकिन बमुश्किल 1 या 2 घरों में ही शौचालयों का प्रयोग होता है. नहीं तो ज्यादातर गांववासी खुले में शौच के लिए मजबूर हैं. वहीं गांव के बुजुर्ग धर्मवीर कहते हैं कि इज्जतघर के नजदीक हैंडपम्प नहीं होना चाहिए, लेकिन यहां है.
7 लोगों के बीच में बना एक शौचालय
अन्य ग्रामीणों ने भी तमाम तरह की समस्या बताई है. शीला का मायका इसी गांव में है और उनका कहना है कि उनके घर में अब तक शौचालय नहीं बना मजबूरी में बाहर ही जाना पड़ता है. वहीं छात्र मंजीत कहते हैं कि दरवाजा और गड्ढा न बनने के कारण इज्जतघर अभी भी अधूरा है और बाहर ही शौच के लिए जाना पड़ता था. 65 वर्षीय शांति कहती हैं कि 7 लोगों के बीच एक शौचालय का निर्माण हुआ है. उसी में सब कोई जाने को मजबूर है.