रायबरेली:यूपीए शासनकाल के दौरान सांसद सोनिया गांधी के विशेष प्रयासों की बदौलत साल 2013 में स्वीकृत हुई रिंग रोड परियोजना अब तक पूरी नहीं हो सकी. इस परियोजना को पूरा करने के लिए केंद्रीय मंत्रालय की ओर से अब तक दो ठेकेदारों को आजमाया जा चुका है, लेकिन दोनों ने प्रोजेक्ट पूरा होने से पहले ही काम छोड़ दिया. अब एक बार फिर से किसी अन्य कंपनी के माध्यम से इस प्रोजेक्ट पूरा किए जाने की बात कही जा रही है.
दरअसल, केंद्र सरकार के सड़क परिवाहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को इस प्रोजेक्ट को पूरा कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. शुरुआत में राजधानी लखनऊ की कंपनी 'जेकेएम' को इसका ठेका दिया गया था, लेकिन कभी मजदूरों से जुड़ी समस्या तो कभी रंगदारी से जुड़े मुद्दे को लेकर अक्सर विवाद की खबरें आती रहीं और काम पूरा न हो सका. इसके बाद दूसरी कंपनी 'एपीएस' को इसे पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन प्रोजेक्ट को अंजाम तक लाने में वह भी कामयाब नहीं हो सकी. अब दोनों को 'ब्लैकलिस्ट' करने की बात चल रही है. हालांकि एक बार फिर इसको पूरा करने के लिए अन्य किसी कंपनी की तलाश की जा रही है.