रायबरेली:देश के स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका अदा करने वाली कांग्रेस के वर्तमान दौर में रसातल में जाने के पीछे का कारण कहीं न कहीं करिश्माई नेतृत्व के कमी होना भी रहा है. देश को जंगे आजादी दिलाने के मकसद से अस्तित्व में आएं कांग्रेस को आजादी मिलने के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भंग करने की हिदायत दी थी. देशहित का हवाला देते हुए अन्य वरिष्ठ नेताओं ने इसका संचालन बरकरार रखने का निर्णय लिया था.
क्या कहते हैं राजनीति के जानकार
राजनीतिक विश्लेषक के रुप में अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाने वाले डॉक्टर जितेंद्र ने बताया कि आजादी के पूर्व और आजादी के बाद के कांग्रेसी नेताओं में बड़ा फर्क रहा. निश्चित तौर पर कांग्रेस का गठन देश के स्वाधीनता आंदोलन को गति देने के मकसद से हुआ था.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का यह पूर्ण मत था की स्वतंत्रता पश्चात इस संगठन को आगे न बढ़ाया जाए, हालांकि राजनीतिक रूप से स्थापित हो चुके इस दल को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया और उस दौर के बड़े और दिग्गज नेता इसी पार्टी से जुड़े रहे.