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रायबरेली: विधायकों के बागी तेवरों से सोनिया के गढ़ में हलकान हुई कांग्रेस - राजनीतिक जानकार विजय विद्रोही

लोकसभा चुनाव 2019 में काफी जद्दोजहद के बाद 80 में से एकमात्र रायबरेली सीट जीतने में कामयाब रही कांग्रेस अब अपने गढ़ में ही घिरती नजर आ रही है. रायबरेली में कांग्रेस के लिए हालात इस कदर बिगड़े हैं कि पार्टी के बैनर तले चुनाव जीतने के बाद उसके दोनों एमएलए बीजेपी के रंग में रंगे नजर आते हैं. कांग्रेस चाह कर भी उन पर कार्यवाही करने में असफल रही है.

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कांग्रेस.

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Published : Aug 19, 2020, 5:31 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

रायबरेली: 2019 लोकसभा चुनाव में काफी जद्दोजहद के बाद 80 में से एकमात्र सीट जीतने में कामयाब रही कांग्रेस अब अपने गढ़ में ही घिरती नजर आ रही है. जिले की 6 विधानसभा सीटों में से 2 विधायक 2017 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे. जिले के 2 बड़े राजनीतिक घरानों से ताल्लुक रखने वाले यह दोनों विधायक अब कांग्रेस में रहकर भी कांग्रेस को छोड़ चुके हैं. रायबरेली में कांग्रेस के लिए हालात इस कदर बिगड़े हैं कि पार्टी के बैनर तले चुनाव जीतने के बाद उसके दोनों एमएलए बीजेपी के रंग में रंगे नजर आते हैं और कांग्रेस चाह कर भी उन पर कार्यवाही करने में असफल रही है.

विधायकों के बागी तेवरों से सोनिया के गढ़ में हलकान हुई कांग्रेस

दल बदल कानून के दायरे में लाकर दोनों सदस्यों की विधानसभा सदस्यता रद्द कराने में भी कांग्रेस को करारी शिकस्त ही मिली है. यहां तक कि पार्टी सिंबल पर चुनाव जीतकर खुद सोनिया गांधी के खिलाफ भाजपा से बिगुल फूंकने वाले एमएलसी की बगावत पर भी कांग्रेस बैकफुट पर ही नज़र आई. यही कारण है कि अब सभी विधायक पार्टी हाईकमान को मुंह चिढ़ाते नजर आते हैं. रायबरेली की राजनीति को नजदीक से देखने वाले और स्थानीय राजनीतिक जानकार विजय विद्रोही कहते हैं कि कांग्रेस के यह दोनों विधायक किसी जन आंदोलन से नहीं निकले हैं. दोनों की अपनी विरासत रही है. यही कारण है कि जहां पर इनको अपना भविष्य सुरक्षित दिखता है वहीं अपना ठिकाना बना लेते हैं. फिलहाल उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो दोनों ने भाजपा का रुख किया है. यदि भविष्य में कांग्रेस मजबूत होगी तब ये वापस कांग्रेस की ओर मुखातिब हो सकते हैं.

कांग्रेस विधायक अवसरवादी राजनीति पर उतारू

कांग्रेस जिलाध्यक्ष पंकज तिवारी हरचंदपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. विधायक राकेश प्रताप सिंह और रायबरेली सदर से बतौर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनी गई विधायक अदिति सिंह पर निशाना साधते हुए वह कहते हैं कि ये दोनों ही अवसरवादी राजनीति पर उतारू हैं. सदन में दोनों ने खुद की सदस्यता बचाने के लिए अपने को कांग्रेस का सिपाही बताया, पर सड़क पर इनका वास्तविक चेहरा उजागर होता है. अपने निजी हितों के लिए पार्टी के निर्देशों की लगातार अवहेलना कर रहे हैं. जल्द ही हाईकोर्ट के जरिए कांग्रेस को न्याय मिलेगा और इन सभी की सदस्यता दल-बदल कानून के तहत रद्द होगाी. पार्टी के स्थानीय संगठन को बेहद मजबूत करार देते हुए जिलाध्यक्ष दावा करते हैं कि विधायकों के बगावती रुख का संगठन पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा. आने वाले चुनावों में जनता इनको कांग्रेस को धोखा देने के लिए जरूर सबक सिखाएगी.

भाजपा जिलाध्यक्ष राम देव पाल कहते हैं कि पीएम मोदी और सीएम योगी के नेतृत्व में देश-प्रदेश तरक्की की राह पर है. तमाम ऐसे नेता हैं जो अपनी मूल पार्टियों को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं. हमारे नेताओं के मार्गदर्शन में बीजेपी की नीतियों पर विश्वास जताते हुए यदि कांग्रेस विधायक भाजपा सरकार की अच्छी नीतियों का बखान करते हैं तो कांग्रेस को इसे सकारात्मक तरीके से लेने की जरूरत है. पार्टी में सिर्फ एक परिवार का कब्जा होने के कारण आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है. इसी का नतीजा है कि सिर्फ रायबरेली ही नहीं देश के अन्य प्रदेशों में भी कांग्रेसी पार्टी से असंतुष्ट होकर भाजपा जॉइन कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

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