रायबरेली: कोरोना के कहर से लोगों को बचाने के लिए सरकार द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था, लेकिन लॉकडाउन के चलते ज्यादातर इंडस्ट्रीज बेपटरी हो गई हैं. हालात इस कदर बिगड़े कि लॉकडाउन के बावजूद जमीनी सूरत बदलने का नाम नहीं ले रही है. केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार द्वारा आर्थिक पैकेज समेत ढेर सारी रियायत देने की घोषणा की गई, लेकिन उद्यमियों की समस्याओं का हल फिलहाल निकलता नहीं दिख रहा है.
कारोबारियों का कहना है...
इंडस्ट्रीज एसोसिएशन आईआईए के जनपद प्रभारी अविचल खूबेले कहते हैं कि लॉकडाउन से उद्योगों को तगड़ा झटका लगा है, जिसकी भरपाई हो पाना मुश्किल है. उद्यमियों की जो प्लानिंग और ऑर्डर थे, सब पर मानो पानी फिर गया. बदली परिस्थितियों में काम की शुरुआत की गई है, लेकिन यह कितना सफल रहता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. फिलहाल 4-5 माह तक विकट परिस्थितियों के रहने के ही आसार हैं. इनका कहना है कि जल्द ही परिस्थितियां सामान्य नहीं हुई तब उद्यमियों को अपना कारोबार तक बदलना पड़ सकता है.
रायबरेली में लॉकडाउन में बेपटरी हुई इंडस्ट्री आइसक्रीम कारोबार से जुड़े जिले के उद्यमी राजेश कुमार बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से हुए लॉकडाउन के कारण औद्योगिक इकाइयां बिखर सी गई हैं और बाजार में डिमांड नहीं है. यही कारण है कि इंडस्ट्रीज दबाव में चल रही हैं. उन्होंने बताया कि सरकार से अपेक्षा है कि जैसे गरीबों के लिए कई महत्वकांक्षी योजनाओं के जरिए उन्हें राहत दी गई है. वैसे ही कोई नीति उद्योग और उद्यमियों के लिए भी योजनाएं लेकर आनी चाहिए.
आरएसएस से जुड़े स्थानीय उद्यमी सुशील गुप्ता ने बताया कि सरकार द्वारा उत्साहजनक वातावरण तैयार किया जाना चाहिए. किसी भी नए इंट्रप्रेन्योर को अनावश्यक रुप से प्रशासनिक झमेलों में नहीं डालना चाहिए. उन्होंने कहा कि हालात कठिन हैं पर नियंत्रण में हैं और जल्द ही वापसी होगी. सुशील गुप्ता ने बताया कि उद्यमियों का पेमेंट जो सरकारी कार्यालयों में 45 दिन से भी ज्यादा समय से लंबित है, उसे सरकार तत्काल देने का आदेश जारी करे.
रायबरेली के जिला उद्योग केंद्र कार्यालय की प्रभारी और उपायुक्त नेहा सिंह बताती हैं कि लॉकडाउन के कारण नुकसान जरूर हुआ और रॉ मैटेरियल के प्रक्योरमेंट से लेकर बाजार में डिमांड नहीं रही, लेकिन अब धीरे-धीरे सुधार देखा जा रहा है. उन्होंने बताया कि जिले की करीब 5 हजार छोटी-बड़ी इंडस्ट्री भी इस संकट काल से जूझ रही हैं. उन्होंने बताया कि सभी बंद हुई इंडस्ट्री शुरू हो चुकी हैं और ऋण संबंधी किसी भी जरुरत को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं का भी लाभ लिया जा सकता है. इसके अलावा जहां कहीं भी जरुरत होती है, स्थानीय प्रशासन के सहयोग से उन्हें हर संभव मदद मुहैया कराई जा रही है.
सरकार द्वारा दी गई रियायतें
- लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही लोन की ईएमआई को पहले 3 महीने, बाद में दोबारा से 3 महीने डिफर करने की सुविधा सरकार ने उद्यमियों समेत सभी देशवासियों को प्रदान की थी.
- केंद्र सरकार ने आर्थिक पैकेज की घोषणा, एमएसएमई सेक्टर के लिए कई घोषणाएं भी की थीं.
- ठेले और रेहड़ी लगाने वालों के लिए भी स्कीम लांच की गई, लेकिन माध्यम वर्गीय और उससे बड़े उद्यमियों को सस्ते कर्ज की सुविधा से वंचित रखा गया.
- लॉकडाउन के दौरान आर्थिक संकट से जूझ रहे उद्योगों के बिजली के बिल में राहत देने की मांग को प्रदेश सरकार द्वारा 30 जून तक सभी बिल का भुगतान करने पर 1 माह यानी जुलाई माह के चार्ज में छूट देने की घोषणा की थी. इस आंशिक लाभ को उद्यमियों ने नाकाफी करार दिया था.
उद्यमियों की प्रमुख मांगें
- जीएसटी का स्लैब रेट रिवाइज करते हुए कम किया जाए.
- बिजली के बिलों में ठोस रियायत दी जाए.
- लॉकडाउन के दौरान कामगारों का वेतन भुगतान सरकार द्वारा वहन किया जाएगा या फिर सरकार इसके लिए ठोस आर्थिक पैकेज की घोषणा करे.
- कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए कामगारों के लिए सरकार द्वारा विशेष बीमा कवर की घोषणा हो.
- नियमित जांच के लिए भी स्थानीय प्रशासन द्वारा डॉक्टरों की टीम गठित की जाए.
इंडस्ट्रीज के सामने चुनौतियां
- सभी वर्कर्स को मास्क और सैनिटाइजर मुहैया कराना.
- बाजार में डिमांड का पर्याप्त मात्रा में न होना.
- शारीरिक दूरी के मानकों को कारखाने और परिसर में बरकरार रखना.
- डीलरों और दुकानदारों में कोरोना संक्रमण का खतरा.
- जटिल प्रशासनिक आदेश जैसे कामगारों को काम पर लेने से पहले कोरोना की जांच कराना.