रायबरेली :कोरोना महामारी से कराह रहे जिले में जनप्रतिनिधि भी अपने अंदाज में मदद करने के प्रयास करते नजर आ रहे हैं. यह बात और है कि इस दौरान मौके को भुनाने में वह पीछे नहीं हैं और सार्थक प्रयास से इतर वाह वाही जरूर लूटते नजर आते हैं. खास बात यह है कि ऐसे प्रयास विपक्षी दलों से जुड़े नेता ही नहीं, सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधि भी करते नजर आते हैं. हालांकि इसी बहाने संकटकाल के इस दौर में बड़ी राहत मिलने की आस जगी है और ठोस कदम से कोरोना के विरुद्ध लड़ाई को भी अंजाम तक ले जाने का बल मिलता दिख रहा है.
रायबरेली में एमएलसी दिनेश सिंह का अलग है रसूख बात सोनिया गांधी के संसदीय रायबरेली की हो रही है. कांग्रेस के गढ़ करार दिए जाने वाले रायबरेली में कांग्रेस से बागी एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह का अपना रूतबा है. भाजपा का दामन थाम चुके एमएलसी का रायबरेली की राजनीति में अपना रसूख है. कई मामलों में अपने सभी प्रतिद्वंद्वी विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों से भी आगे ही नजर आते हैं. एमएलसी ने शुक्रवार को जिलाधिकारी को पत्र लिखकर कोरोना के मरीजों के लिए 500 बेड के अस्थायी अस्पताल बनाने की पेशकश की है. उन्होंने अपने खर्चे पर जीआईसी की सेकेंड फील्ड पर अस्पताल बनाने का प्रस्ताव डीएम को दिया है. साथ ही उस सेंटर पर पर्याप्त मेडिकल टीम भी लगाने की बात कही है.डीएम रायबरेली वैभव श्रीवास्तव के नाम से संबोधित पत्र में एमएलसी दिनेश सिंह ने लिखा कि कोरोना महामारी से अपने तंत्र के साथ आप रायबरेली वासियों को बचाने के लिए लड़ रहे हैं. इसके लिए आप व आपके संपूर्ण सिस्टम को धन्यवाद देता हूं. अपेक्षा करता हूं कि इस महामारी की लड़ाई में मैं आपके किसी काम आ सकूं तो खुशी होगी.
20 दिन पहले कोरोना से हुए थे संक्रमित
दिनेश सिंह ने आगे लिखा कि मैं भी इस बीमारी का शिकार हुआ. 20 दिन के बाद अभी निगेटिव हुआ हूं. फोन पर जनपद वासियों का दर्द सुन-सुनकर बहुत आहत हूं. लोग ऑक्सीजन के लिए सुबह से शाम तक भटकते हैं. रात तक उनके परिजन दम तोड़ देते हैं. आपके पास डाटा होगा, जानकारी हमें भी है.
हर किसी का सहयोग लेने का जताया भरोसा
उन्होंने आगे लिखा कि यदि जनपद में ऑक्सीजन का अभाव है तो इसे सावर्जनिक करें. साथ ही उस जगह का निर्धारण करें, जहां जरूरतमंद लोग संपर्क कर सकें. एमएलसी ने डीएम को लिखा कि 500 बेड के अस्थायी अस्पताल जीआईसी की सेकेंड फील्ड पर बनाएं. उन्होंने अस्पताल में कूलर, पंखा और लाइट की व्यवस्था करने की मांग की. साथ ही कहा कि आने वाले व्यय की आप चिंता न करें. अगर मेरी क्षमता से अधिक होगा तो मैं झोली लेकर रायबरेली में निकलूंगा तो सब पूरा हो जाएगा.
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जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित करने की कहीबात
अंत में वह यह भी लिखते हैं कि जनपद के सभी जनप्रतिनिधियों की बैठक आयोजित करके उनसे सहयोग लें और जरूरत पड़ने पर सामाजिक संगठनों के लोग भी आगे आकर मदद करेंगे.