रायबरेली:प्रदेश में सरकार मनरेगा के तहत बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने की बात कह रही है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मनरेगा योजना के जरिए गरीबों की मदद के तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन तमाम दावों के विपरीत अब भी जिले में कई ऐसी ग्राम सभाएं हैं, जहां मनरेगा के जॉब कार्ड धारक भी बेरोजगार हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत करते मनरेगा जॉब कार्ड धाकर. ग्रामीण क्षेत्रो में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी मनरेगा में मजदूरी नहीं मिल सकी है. प्रदेश में सरकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन पहले भी एक चुनौती था. वहीं मजदूर वर्गों के सामने आज भी यह समस्या बरकरार है. ईटीवी भारत ने मनरेगा में मिलने वाले रोजगार को लेकर रायबरेली जिले में मजदूरों से बातचीत की.
इस दौरान जनपद निवासी गौतम ने बताया कि पिछले कई महीनों से वह घर में बैठे हैं, कोई काम नहीं है. काम मांगने जाओ भी तो कह दिया जाता है कि अभी काम नहीं है, जब आएगा तो आपको बता देंगे.
भ्रष्टाचारी हजम कर जाते हैं योजनाएं
मनरेगा जॉब कार्ड धारक विश्राम कहते हैं कि दो साल पहले मनरेगा के तहत काम आया था. उसके बाद कुछ काम नहीं मिला है. सरकार की योजनाएं गांव तक नहीं पहुंचती हैं. बीच में ही भ्रष्टाचारी हजम कर जाते हैं. स्थानीय निवासी अजय कहते हैं कि मनरेगा के तहत काम पाने के लिए कई बार जॉब कार्ड बनवाने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुए. समस्या काम न मिलना ही है.
गांव की ही रहने वाली महिला जॉब कार्ड धारक रानी कहती हैं कि हालात बहुत खराब हैं. परिवार बड़ा है और छोटे-छोटे बच्चे भी हैं. बाहर कहीं काम मिलता नहीं और लॉकडाउन के दौरान दो महीने न ही कोई काम मिला और न ही कोई आमदनी हुई. कुछ लोग गांव में अनाज बांटने जरूर आए थे, लेकिन उससे घर नहीं चलता.
मजदूर अशोक कहते हैं कि सरकार ने सभी मनरेगा जॉब कार्ड धारकों के खातों में पैसे जमा कराने की बात कही थी, लेकिन मेरे खाते में कोई रकम नहीं आई. मनरेगा के तहत भी कोई काम नहीं मिल रहा है.