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रायबरेली: 2 हजार कोच उत्पादन के नजदीक पहुंचा MCF, 1767 डिब्बों का हो चुका निर्माण - रायबरेली खबर

यूपी के रायबरेली में लालगंज में स्थापित मॉडर्न कोच फैक्ट्री अब अपना लोहा मनवाने की राह पर चल पड़ा है. इस वित्तीय वर्ष में फरवरी माह तक 1767 डिब्बों का उत्पादन सफलतापूर्वक किया जा चुका है और 2 हजार डिब्बों के उत्पादन का लक्ष्य पूरा करने के बेहद करीब है.

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वित्तीय वर्ष में 2 हजार कोच उत्पादन के नजदीक पहुंचा एमसीएफ.

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Published : Mar 7, 2020, 11:10 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

रायबरेली:रेल डिब्बों का अभूतपूर्व उत्पादन कर रायबरेली के लालगंज में स्थापित मॉडर्न कोच फैक्ट्री अब अपनी काबिलियत का लोहा मनवाने की राह पर चल पड़ा है. तमाम कयासों और अटकलों को विराम लगाते हुए चल रहे वित्तीय वर्ष में भारतीय रेल की इस आधुनिकतम मैन्युफैक्चरिंग यूनिट ने बीते वर्ष के सभी उत्पादनों के कीर्तिमानों को पीछे छोड़ते हुए 2 हजार का आकंड़ा छूने का मन बनाया है. कारखाने के मुखिया का दावा है कि मार्च माह में महज 233 कोच के उत्पादन के साथ ही 2 हजार के इस जादुई आंकड़े को पाने में एमसीएफ जरुर सफल होगा.

वित्तीय वर्ष में 2 हजार कोच उत्पादन के नजदीक पहुंचा एमसीएफ.

रायबरेली के लालगंज स्थित मॉडर्न कोच फैक्ट्री के प्रभारी और महाप्रबंधक विनय मोहन श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत को बताया कि आधुनिक रेल डिब्बा कारखाने ने इस वर्ष अपनी उत्पादन क्षमता का अभूतपूर्व परिचय दिया है. एमसीएफ ने उत्पादन क्षमता को बीते वर्षो में बढ़ोत्तरी करने के साथ वर्तमान को स्थापित करने की राह पर चल पड़ा है.

1 महीने में 220 डिब्बों का किया उत्पादन
इसी दौरान दिसंबर 2019 में एमसीएफ द्वारा 1 महीने में 220 डिब्बों को का उत्पादन करके पिछले सभी मासिक उत्पादन के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ चुका है. इस वित्तीय वर्ष में फरवरी माह तक 1767 डिब्बों के उत्पादन सफलतापूर्वक किया जा चुका है और 2 हजार डिब्बों के उत्पादन का लक्ष्य पूरा करने के बेहद करीब है. जीएम ने दावा किया कि इसको पूरा करने में पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

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कई मायनों में खास है 2 हजार कोच उत्पादन की वार्षिक क्षमता
एमसीएफ के जीएम वीएम श्रीवास्तव ने बताया कि सालाना 2 हजार कोच उत्पादन की क्षमता पाने वाले एमसीएफ देश का पहला मैन्युफैक्चरिंग यूनिट नहीं है, पर यह जरुर है कि कारखाने ने बेहद कम समय में यह कामयाबी हासिल की है. तकनीकी के बलबूते कम मानव संसाधन के प्रयोग से इसे संभव बनाया जा सका है. यही कारण है कि यह उपलब्धि कई मायनों में बेहद खास है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

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