उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

रायबरेली: लॉकडाउन ने रोका कुम्हारों का चाक, तंगहाली में जीने को हुए मजबूर - रायबरेली का कुचारियां गांव

पूरे देश में लॉकडाउन होने के बाद कई व्यवसायों पर इसका प्रभाव देखा जा सकता है. इन्हीं में मिट्टी के बर्तन बनाकर अपना गुजारा करने वाले कुम्हार भी हैं. तालाबंदी के बाद अब इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

COVID-19
लॉक डाउन ने रोका कुम्हारों का चाक

By

Published : Apr 18, 2020, 8:34 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

रायबरेली:देशव्यापी लॉक डाउन का असर महानगरों में ही नहीं छोटे जिलों के गांवों में भी पड़ता दिख रहा है. मिट्टी के बर्तन बेचकर परिवार पालने वाले कुम्हारों का जीवन लॉकडाउन के कारण बदहाली में तब्दील हो चुका है.

लॉक डाउन ने रोका कुम्हारों का चाक

गर्मियों के दिनों में घड़ों के बिक्री से मुफीद कमाई करने वाले कुम्हार अब सिर्फ बर्तनों का ढेर लगाएं बैठे हैं. खरीददार कोई नहीं है. सरकार की योजनाओं से कुछ राहत मिलने के बात भले ही कुम्हार स्वीकार करते हैं, लेकिन तंगहाली का गम उस पर भारी नजर आता है. हालात इस कदर बदतर है कि लगन के दिनों में हजारों की कमाई प्रतिदिन करने वाले कुम्हारों को अब खरीदार तक नहीं मिल रहा है. रायबरेली के राही ब्लॉक के कुचारियां निवासी शाहजहां से ETV भारत संवाददाता ने लॉकडाउन के कारण होने वाली परेशानी के बाबत जानकारी हासिल की.

शाहजहां ने हमें बताया कि आमतौर पर इन महीनों में ठीक-ठाक कमाई हो जाती थी, लेकिन लॉकडाउन होने के कारण अब कमाई नहीं होती. दिनभर बर्तन तो बनाते हैं पर कोई खरीदार नहीं आता है.

मिट्टी के बर्तनों में घड़े, मटके, कुल्हड़, ग्लास, गुल्लक और दीये समेत तमाम बर्तन बनाने वाली शाहजहां कहती हैं कि पूजा और शादियों के लिए भी लोग कलश वगैरह खरीदते थे, लेकिन कार्यक्रमों में रोक के कारण वो भी नहीं बिक रहे हैं.

इसे भी पढ़ें:-उत्तर प्रदेश में 82 नए कोरोना पॉजिटिव मामले आए सामने, आंकड़ा 931 पहुंचा

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details