रायबरेली:अयोध्या के विवादित बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. राजधानी लखनऊ की पुरानी हाई कोर्ट बिल्डिंग स्थित सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुरेंद्र यादव के दिशा निर्देशन में 28 साल से चले आ रहे इस हाई प्रोफाइल केस का फैसला सुनाया गया है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार, साध्वी उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा सहित 32 आरोपियों को लेकर आज फैसला सुनाया गया है. बता दें, इससे पहले अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले की सुनवाई रायबरेली में भी चली थी. रायबरेली की विशेष अदालत ने 17 साल पहले इस मामले में आरोपी पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को बरी कर दिया था. जानकारी के अनुसार, देश के सबसे चर्चित मसले विवादित ढांचा विध्वंस मामले से जुड़े केस की सुनवाई के लिए रायबरेली में वर्ष 2002 में विशेष अदालत गठित की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केस लखनऊ किया गया था ट्रांसफर
सीबीआई की विशेष अदालत में लगभग 8 वर्षों तक चले इस मुकदमे को बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लखनऊ और रायबरेली की विशेष अदालत में विचाराधीन दोनों मामलों को एक ही में क्लप करके केस लखनऊ ट्रांसफर कर दिया गया था. मामले की सुनवाई के दौरान वर्ष 2003 में लालकृष्ण आडवाणी समेत तमाम आरोपी रायबरेली की विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष पेश भी हुए थे.
रायबरेली की विशेष अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी को किया था बरी
बता दें, रायबरेली की विशेष अदालत ने 17 साल पहले इस मामले में आरोपी पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को बरी कर दिया था. साथ ही तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी समेत अन्य पर आरोप तय करके मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी. वहीं आरोप तय होने के मद्देनजर मुरली मनोहर जोशी को मंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था.
तत्कालीन विशेष मजिस्ट्रेट वीके सिंह ने सुनाया था 130 पेज का फैसला
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, साध्वी उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, अशोक सिंघल, विनय कटियार समेत अन्य 8 लोगों के खिलाफ मुकदमे में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सीबीआई की विशेष अदालत के तत्कालीन विशेष मजिस्ट्रेट वीके सिंह ने 19 सितंबर 2003 को 130 पेज का फैसला सुनाया था. इस फैसले में सीबीआई लालकृष्ण आडवाणी पर आरोप सिद्ध नहीं कर सकी थी. उन्हें संदेह का लाभ मिला था. विशेष अदालत में बाकी सभी 7 लोगों पर आरोप तय करने के आदेश दिए गए थे.
आज लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाया फैसला
करीब 8 साल तक सुनाई चलने के बाद विवादित ढांचा विध्वंस मामले से जुड़े केसों की 2 विशेष अदालतों में हो रही अलग-अलग सुनवाई को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मुकदमों की सुनवाई को सीबीआई की विशेष अदालत में शिफ्ट करने के आदेश दिए थे. इसके बाद रायबरेली की विशेष अदालत खत्म करके केस की सभी पत्रावलियां लखनऊ भेज दी गई थी. अब इस मामले में आज सीबीआई की विशेष अदालत ने फैसला सुना दिया है. बता दें कि इस मामले में अब तक 354 गवाह किए पेश गए. फैसला सुनाते हुए सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुरेंद्र यादव ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, साध्वी उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है.