रायबरेलीः स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गरीब और ग्रामीण जनता को बेहतर इलाज देने के लिए अरबो रुपये पानी की तरह बहाए जा रहा है. जिले से लेकर न्याय पंचायत स्तर तक स्वास्थ्य सुविधाएं देने का दावा किया जा रहा है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर सामुदायिक केंद्रों को संचालित करने के लिए चिकित्सक से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की तैनाती की गई है. उनके स्वास्थ्य केंद्र पर ही रहने के लिए आवासीय परिसर भी बनाया गया, लेकिन वो वहां रुकते नहीं और नहीं रोज स्वास्थ्य केंद्र पर जाते हैं, जिसकी वजह से आम ग्रामीणों को झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे रहना पड़ता हैं.
झोलाछोप डॉक्टरों के इलाज की वजह से कई बार मरीजों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है, लेकिन फिर भी मजबूरी में ये उनके पास पहुंचते हैं. एक ऐसा ही मामला रायबरेली के गुरुबख्शगंज थाना क्षेत्र के कुर्मियामऊ चौराहे पर उस समय देखने को मिला. जब एक मासूम का इलाज कराने के लिए उसके परिजन चौराहे पर मौजूद मेडिकल स्टोर पर पहुंचे. मेडिकल स्टोर संचालक ने बच्ची को एक इंजेक्शन लगा दिया, जिससे बच्ची की हालत बिगड़ने लगी. ये देख वो उसे इलाज कराने के लिए बछरांवा के लिए निकला, लेकिन बच्ची ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. ये सुनते ही परिजनों में चीख पुकार मच गई. वहीं मामले की सूचना पर पुलिस भी पहुंच गई और जांच शुरू कर दी, लेकिन संचालक मौके से नदारद था.
जिले के गुरुबख्शगंज थाना क्षेत्र के कुर्मियामऊ चौराहे पर संचालित विजय मेडिकल स्टोर पर पूरे त्रिवेदी गांव निवासी नवनीत अपनी मासूम भांजी संगीता का इलाज कराने के लिए पहुंचे थे. मासूम को शुक्रवार शाम से बुखार आया था. मेडिकल स्टोर पर मौजूद संचालक विजय ने मासूम का फौरी चेकअप किया और उससे एक इंजेक्शन लगा दिया. कुछ ही देर बाद बच्ची की हालत बिगड़ने लगी ये देख संचालक घबड़ा गया और तत्काल एक गाड़ी को बुलाकर उसमें मासूम और उसके मामा को लेकर बछरांवा के लिए निकला, लेकिन बच्ची की रास्ते में ही मौत हो गई.