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...पूर्व विधायक अखिलेश सिंह के न रहने पर सियासी वर्चस्व का आखाड़ा बन सकता है 'रायबरेली'

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Published : Aug 23, 2019, 9:52 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

यूपी के रायबरेली में लगातार पांच बार विधायक के पद पर काबिज रहने वाले अखिलेश सिंह के निधन के बाद उनके प्रशंसकों में अभी भी शोक की लहर है. अखिलेश सिंह ने 90 के दशक में अपनी राजनीतिक पारी विधायक बनकर शुरू की और जिले में कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार थे.

अखिलेश सिंह, पूर्व विधायक

रायबरेली: जिले की सियासत के बेहद मजबूत स्तंभ करार दिए जाने वाले पूर्व विधायक अखिलेश सिंह के निधन के बाद उनके समर्थकों में शोक की लहर है. पांच बार लगातार रायबरेली सदर से विधायक रहने के बाद वर्ष 2017 में अखिलेश सिंह ने अपनी विरासत को अपनी बड़ी बेटी अदिति सिंह के हाथों सौंपा और कांग्रेस से रहकर सदर विधानसभा से जीत सुनिश्चित की.

जानकारी देते संवाददाता.

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जिले में सियासत के वर्चस्व की जंग
अखिलेश सिंह अपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में तमाम किरदारों का बखूबी से निर्वाहन करना जानते थे. कुछ यही कारण था कि उनके विधानसभा क्षेत्र के खासकर कमजोर तबके के लोग उनमें अपनी हर समस्या की काट रखने वाले 'रॉबिन हुड' मानते थे.

कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत करने वाले अखिलेश सिंह जब कांग्रेस से बाहर हुए तो निर्दलीय होकर भी अपार लोकप्रियता हासिल कर किसी पार्टी विशेष की बदौलत सियासत चमकाने के तर्क को मिथ्या करार दिया.

विधायक अखिलेश सिंह के निधन के बाद अब रायबरेली की सियासत में अखिलेश द्वारा अर्जित किए गए उस ओहदे और रुतबे को लेकर राजनीतिक संघर्ष भी देखा जा सकता है. आपराधिक छवि होने का आरोप झेलने वाले अखिलेश अपने क्षेत्र की गरीब जनता के बीच लोकप्रियता के मामले में कई कद्दावर नेताओं को भी मात देते नजर आए हैं. यही कारण है कि उनकी शव यात्रा में लोग कहने को मजबूर हो चले कि अखिलेश सिंह जैसी अंतिम यात्रा रायबरेली जनपद में पहले कभी नहीं देखी गई.







Last Updated : Sep 17, 2020, 4:19 PM IST

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