रायबरेलीः लॉकडाउन हटने के बावजूद दोना और पत्तल कामगारों की कमाई का जरिया फिलहाल खुलता नहीं दिख रहा है. तमाम प्रयासों के बाद भी उनकी दिनचर्या पटरी पर आती नहीं दिख रही है. 3 महीने के कठिन दौर के बाद बाजारों भले ही अब दोना और पत्तल की मांग शुरू हो गई हो पर शादी समारोह और बड़े आयोजनों पर रोक के कारण बिक्री नाममात्र ही हो रही है.
यही कारण है कि अब परेशान कामगार सरकार से इन बड़े आयोजनों पर रोक से छूट देने की बात कह रहे हैं. रायबरेली शहर के बाहरी हिस्से पर भदोखर रोड पर बर्राडीह गांव जहां पर पत्तल और दोना बनाने वाले कई कामगारों का परिवार रहता है. कोरोना संकट के दौरान इनकी कमाई पूरी तरह से रुक चुकी है और इनके पत्तल और दोने को फिलहाल कोई खरीदार नहीं मिल रहा.
सरकार ने अभी भी बड़े कार्यक्रमों के आयोजन पर रोक लगा रखी है. यहां तक कि होटलों में भी खाना परोसने की बजाय पैकिंग पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. इन तमाम तरह की रोक और पाबंदियों का यह नतीजा है कि दोना और पत्तल की बाजार में मांग न के बराबर है. अब इसको बनाने वालों के घरों में आर्थिक संकट के बादल छाए है.