रायबरेली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद की 12 वीं की परीक्षा का परिणाम सोमवार को घोषित हुआ तो मेधावियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. ज्यादातर मेधावियों को उनके परीक्षा परिणाम की जानकारी स्कूल से ही मिली. कई स्कूल संचालकों ने भी सर्वोच्च अंक लाने वाले मेधावियों को बुलाकर माल्यार्पण कर मिठाई बांटी और खुशी का इजहार किया. हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया. सुरक्षा के सभी उपाय अपनाए गए.
परिवार के साथ अनन्या बाजपेई. अनन्या ने प्राप्त किए 96 प्रतिशत अंक
सीबीएसई की 12वीं में दयावती मोदी पब्लिक स्कूल की छात्रा अनन्या बाजपेई ने 96 प्रतिशत अंकों के साथ सफलता का परचम लहराया है. खास बात यह है कि अनन्या के पिता पेशे से ड्राइवर हैं और बेहद सीमित संसाधनों के साथ 2 बेटियों के अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. यही कारण है कि उनके लिए शहर के नामचीन स्कूल में बेटियों को पढ़ाना और पढ़ाई का खर्चा वहन करना संभव नहीं था. बेटियों की मन में पढ़ने की चाह थी और फिर उसको आगे बढ़ाने के लिए हाथ भी बढ़ने लगे. रायबरेली की ही वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मीरा मलिक ने उसकी पढ़ाई का बीड़ा उठाया. स्कूल ने भी उसकी प्रतिभा को पहचानते हुए फीस में रियायत दे दी थी.
अनन्या अपनी सफलता का श्रेय डॉ. मीरा मालिक को देना नहीं भूलतीं. अनन्या कहती हैं कि उनकी मदद के बगैर उनकी पढ़ाई शायद ही पूरी हो पाती. मां-बाप, गुरुजनों का भी मार्गदर्शन हर समय मिलता रहा. परिवार में कठिनाइयों के बावजूद सभी जरूरतों को पूरा किया गया. पारिवारिक पृष्ठभूमि सीमित होने व पिता के ड्राइवरी पेशे से जुड़े होने के बावजूद कभी कमी महसूस नहीं होने दी गई.
भविष्य में आईएएस बनकर करना चाहती हैं देश सेवा
भविष्य की योजनाओं को लेकर अनन्या कहती हैं कि आगे चलकर वह आईएएस अधिकारी बनकर देश के उत्थान में अपना योगदान देना चाहती हैं. अनन्या ने कहा कि पहले दिल्ली या लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करके प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करूंगी. 2018 की आईएएस टॉपर सृष्टि जयंत देशमुख को वह अपना रोल मॉडल मानती हैं.
क्या कहते हैं माता-पिता
अनन्या की माता कहती हैं कि बेटी की सफलता से गर्व महसूस हो रहा है. उसने सभी का नाम रोशन कर दिया. अनन्या के पिता शैलेन्द्र बाजपेई कहते हैं कि बेटी की सफलता के पीछे चिकित्सक डॉ. मीरा मलिक व स्कूल की निदेशक सिद्धू मैडम की मेहनत है. उनकी बदौलत ही उसकी पढ़ाई संभव हो सकी, नहीं तो यह मुश्किल ही था.