रायबरेलीः ग्रामीण इलाकों में लोगों को अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था देने के लिए सरकार अपनी प्रतिबद्धता जता चुकी है. इसके लिए वो सीएचसी और पीएचसी को चुरारू रुप से चलाने के लिए आवास से लेकर मशीनरी तक में अरबों रुपये खर्च कर रहे हैं. लेकिन केंद्र पर तैनात चिकित्सक और स्टॉफ की गैर जिम्मेदाराना रवैया सरकार की मंशा पर पानी फेर रहा है.
बेहाल सीएचसी
ऐसा ही एक नजारा यूपी के रायबरेली में भी देखने को मिला. जिले का संताव विकासखण्ड के जतुआ टम्पा में संचालित सीएचसी में डॉक्टरों और स्टॉफ की जगह कुत्ते आराम फरमा रहे हैं. कुत्ते को भगाने के लिए अस्पताल में कोई भी कर्मचारी मौजूद नहीं था. इस मामले को लेकर जब सीएमओ को फोन किया गया तो उनका फोन ही नॉट रिचेबल मिला. जिले का प्रभार डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को दिया गया है. इसके बावजूद यहां का ये हाल है. कोरोना महामारी के काल में स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह रवैये की वजह से अस्तपताल के वार्डों और ड्रेसिंग रूम में चिकित्सकों के बजाय कुत्ते ड्यूटी कर रहे हैं. हद तो तब हो जाती है, जब इतना सब होने के बाद भी केंद्र पर इस कुत्ते को भगाने वाला कोई नहीं है. ऐसे लापरवाह स्टॉफ के भरोसे हम कोरोना जैसी महामारी से कैसे निपटेंगे?, ये एक बड़ा सवाल है.
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