रायबरेली:कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है. ऐसे में रायबरेली के प्राचीन डलमऊ तट पर हर साल कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु रायबरेली और आस-पास के जिलों से भी आते हैं. इस सालाना मेले की गंवई खुशबू यहां के माहौल को और भी अधिक खुशनुमा बना देती है. वहीं इस मेले में एक खास बात और है कि यहां लोग काफी दूर-दूर से बैलगाड़ी से ही आते हैं. परंपराओं के अनुसार यहां आने के लिए लोग आज भी बैलगाड़ी का प्रयोग करते हैं, बेशक इसके लिए कितना समय लग जाए.
डलमऊ पहुंचे श्रद्धालु राम बहादुर यादव कहते हैं कि उनके पास सभी साधन उपलब्ध हैं, लेकिन बुजुर्गों द्वारा स्थापित की गई परंपरा का निर्वाहन करने के मकसद से उन्होंने बैलगाड़ी के जरिए ही डलमऊ घाट का रुख किया. इस मेले में शामिल होने के लिए बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक इन्हीं बैलगाड़ियों का सहारा लेते हैं. खास बात यह है कि इस दौरान बैलगाड़ी पर ही खान-पान का सारा प्रबंध होता है. डलमऊ से 12 कोस दूर रहने वाले राम बहादुर कहते हैं कि बैलों की तंदरुस्ती पर तय होता है कि डलमऊ तक पहुंचने में कितना समय लगता है.