रायबरेली: एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की विधान परिषद सदस्यता रद्द करने संबंधी कांग्रेस की याचिका को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति ने सोमवार को निरस्त करने का आदेश जारी किया है. अब दिनेश सिंह की परिषद सदस्यता बरकरार रहेगी. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की सदस्यता रद्द करने को लेकर कांग्रेस काफी समय से जोर आजमाइश कर रही थी.
कांग्रेस की याचिका निरस्त, MLC दिनेश प्रताप सिंह की विधान परिषद सदस्यता बरकरार
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह की विधान परिषद सदस्यता बरकरार रहेगी. विधान परिषद सभापति ने उनकी सदस्या रद्द करने के लिए कांग्रेस की ओर से दायर याचिका रद्द कर दी है. इस फैसले के खिलाफ अब कांग्रेस हाईकोर्ट में अपील करेगी.
2018 में कांग्रेस एमएलसी और सदन में पार्टी के सचेतक रहे दीपक सिंह की ओर से दायर की गई याचिका पर फैसला करीब 2 साल बाद परिषद सभापति रमेश यादव द्वारा सोमवार को फैसला दिया गया.
दरअसल कांग्रेस एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह 21 अप्रैल 2018 को भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह व यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में रायबरेली के एक बड़े कार्यक्रम में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. अभी हाल ही में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की विधान परिषद सदस्यता सभापति द्वारा रद्द कर दी गई थी. बसपा की ओर से सदस्यता रद्द करने संबंधी याचिका पर विधान परिषद सभापति ने अपना फैसला सुनाते हुए यह आदेश जारी किया था.
वहीं दिनेश सिंह के मामले में फैसला ठीक उल्टा आया है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे, जबकि दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं. यही कारण है कि दोनों के लिए अलग- अलग मापदंड रखे गए हैं और दोनों के मामले में फैसला भी अलग-अलग आया है.
कांग्रेस की ओर से सदस्यता रद्द करने संबंधी याचिका की पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी कौशिक ने विधान परिषद सभापति के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जानबूझकर मामले को लंबे समय तक लटकाया गया और फैसला भी एक तरफा दिया गया है. उन्होंने कहा कि सभापति पर सत्तापक्ष का दबाव साफ तौर पर देखा जा सकता है. कांग्रेस पार्टी की ओर से दी गई सभी दलीलों को एक सिरे से नकार दिया गया.
पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की सदस्यता रद्द करने के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सिद्दीकी बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. इसी कारण उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई. वहीं दिनेश प्रताप खुलेआम बड़े कार्यक्रम में भाजपा में शामिल हुए थे. इसके अलावा दिनेश प्रताप इस साल सोनिया गांधी के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव भी लड़ चुके हैं. अधिवक्ता ने कहा कि जल्द ही इस संबंध में हाईकोर्ट में अपील की जाएगी.