रायबरेली: प्रधानमंत्री मोदी कानपुर में गंगा स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत परखने के लिए 14 दिसंबर को आ रहे हैं. इस कार्यक्रम में यूपी सीएम के साथ अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी शिरकत करेंगे. इस कार्यक्रम का मकसद निर्मल गंगा अभियान को गति देना है. वहीं कानपुर से महज सौ किमी दूरी पर स्थित पौराणिक सई नदी प्रदूषण का शिकार हो चुकी है. इस नदी का रामचरित मानस में भी उल्लेख है. यहां के लोगों की मांग है कि गंगा की तर्ज पर ये नदी भी प्रदूषण मुक्त करके निर्मल की जाए.
सई नदी की सभी ने की अनदेखी
सई नदी के तट पर बसे रायबरेली शहर से देश के बडे़ दिग्गज नेताओं की राजनीति चमकी है. देश के विकास की बात करने वालों ने शहर की इकलौती सई नदी सहेजने में रुचि नहीं दिखाई. सई नदी के पौराणिकता के प्रमाण भी धार्मिक ग्रंथों में अनेकों हैं. जिला प्रशासन, धर्माचार्यों और पर्यावरणविदों ने भी नदी की अनदेखी की. यही कारण है कि प्राचीन काल की नदी प्रदूषित हो चुकी है और अपने आस्तित्व के लिए लड़ रही है.
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श्रीराम ने किया था सई नदी में स्नान
सई नदी को पौराणिक नदी बताते हुए श्याम साधु दावा करते हैं कि इस नदी में स्वयं प्रभु श्रीराम ने स्नान किया है. सभी सनातनधर्मियों को इस नदी से विशेष लगाव रखना चाहिए. इसके स्वच्छ रखने का हर संभव प्रयास करना चाहिए. वे सई की स्वच्छता के प्रति सरकार के ध्यानाकर्षण के लिए पुनः अनशन करने से पीछे नहीं रहने की बात भी दोहराते हैं. प्रख्यात पर्यावरणविद श्याम साधु के मुताबिक सई को प्रदूषित करने में एसजीपीजीआई के लिक्विड डिस्चार्ज की अहम भूमिका है. उन्होंने, योगी सरकार से नदी को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं जाने की मांग की है.