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'दीदी' भूल गईंं सलोन के आलू किसानों का दर्द! - केंद्र सरकार

यूपी में फर्रुखाबाद, आगरा के बाद रायबरेली जिले की सलोन तहसील बेल्ट आलू उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर है, लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण यहां के आलू किसान मायूस हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान सलोन में 'मेगा फूड पार्क' बनाने की व सलोन को आलू प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में डेवलप किए जाने का वादा किया गया था, लेकिन यह वादा अब ठंडे बस्ते में पड़ गया है.

mega food park in salon
सलोन में बनेगा मेगा फूड पार्क

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Published : Nov 21, 2020, 5:12 PM IST

Updated : Nov 21, 2020, 7:40 PM IST

लखनऊ: 2019 लोकसभा चुनावों में अमेठी संसदीय क्षेत्र देश के सबसे रोमांचक मुकाबले का गवाह बना था. उस समय कांग्रेस की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी मैदान में थे. वहीं भाजपा ने दोबारा से अपनी फायर ब्रांड नेता स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा था. चुनावी जोर आजमाइश में एक मुद्दा जो दोनों ही तरफ से जबरदस्त उछाला गया था, वह मुद्दा सलोन से जुड़ा था.

'मेगा फूड पार्क' को लेकर देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

चुनावी रैलियों में दोनों ही प्रत्याशियों ने सलोन में 'मेगा फूड पार्क' बनाने की व सलोन को आलू प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में डेवलप किए जाने का वादा किया था. मुद्दे के गूंज इस कदर रही कि प्रदेश स्तर ही नहीं राष्ट्रीय स्तर तक यह मसला बेहद सुर्खियों में रहा और सलोन का विकास हर किसी के वरीयता में आ गया. चुनाव परिणाम आने के बाद हालांकि कांग्रेस को निराशा हाथ लगी और स्मृति ईरानी पहली बार अमेठी से जीतकर लोकसभा पहुंचीं.

पुनः से मोदी सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री के पद से नवाजा गया, लेकिन चुनाव जीतने के बाद से भाजपा 'मेगा फूड पार्क' से दूरी बनाती दिखी. यह आरोप विपक्षी पार्टियां लगा रही हैं और दलील दे रहे हैं कि करीब डेढ़ साल का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस काम होता नहीं दिख रहा. ईटीवी भारत की यह स्पेशल रिपोर्ट 'मेगा फूड पार्क' के वादों की हकीकत से रुबरु कराती है.

स्मृति ईरानी के दावे खोखले साबित हो रहे
कांग्रेस जिलाध्यक्ष पंकज तिवारी कहते हैं कि सलोन के बाबत स्मृति ईरानी के दावे पूरी तरह खोखले साबित हो रहे हैं. उन्होंने इस पूरे क्षेत्र को आलू उत्पादन व उससे जुड़े प्रोडक्ट्स का हब बनाने की बात कही थी, लेकिन अभी तक जमीन पर कुछ भी होता नहीं दिख रहा है. बीजेपी सिर्फ जुमलेबाजी के सहारे चुनाव जीतती रही और सही मायनों में विकास का उससे दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है.

भाजपा ने सलोन की जनता को ठगा
सपा जिलाध्यक्ष वीरेंद्र यादव ने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने झूठे वादों के जरिए जनता के बीच जाकर भ्रम का मायाजाल फैला रखा था, जिसका नतीजा रहा चुनावों में उसे जीत हासिल हुई. आलू उत्पादन के मामले में सलोन का दबदबा पूरे प्रदेश में माना जाता है. आज भी डेढ़ दर्जन से ज्यादा कोल्ड स्टोरेज सिर्फ सलोन कस्बे में ही संचालित हैं. फूड पार्क व आलू की प्रोसेसिंग यूनिट के बहाने बीजेपी ने यहां के लोगो को बरगलाकर वोट लिए थे और सलोन की जनता को ठगने का काम बीजेपी व अमेठी सांसद द्वारा किया गया है.

अखिलेश सरकार में हुआ सलोन का विकास
सपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि जनता सभी की सच्चाई जान चुकी है और आने वाले चुनावों में स्मृति ईरानी को इसका परिणाम भी भुगतना पड़ेगा. सालों से सलोन के किसानों की अनदेखी कांग्रेस भी करती आई है और उसी का खामियाजा 2019 लोकसभा चुनाव में उसे भुगतना पड़ा है. अब यही गलती भाजपा कर रही है और आने वाले चुनावों में उसे भी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ेगा. हालांकि इस क्षेत्र में जो भी थोड़ा विकास दिखता है, उसका श्रेय सपा जिलाअध्यक्ष अखिलेश यादव सरकार को देते हैं और कहते हैं कि सपा शासनकाल में सलोन में सात विद्युत पावर सब स्टेशन बनाएं गए थे. साथ ही सैकड़ों किलोमीटर की रोड भी बनाई गई थी, लेकिन अब भाजपा राज में सलोन विकास के लिए तरस रहा है.

जमीन से कोसों दूर है वादें
रायबरेली के स्थानीय राजनीतिक जानकार विजय विद्रोही कहते हैं कि सलोन आलू उत्पादन का एपिसेंटर है, लेकिन यहां के आलू किसान दुर्दशा के दिन देखने को मजबूर हैं. उनसे भले ही चुनाव के दौरान तमाम वादे किए जाते रहे हों, लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद कोई भी राजनीतिक दल उन वादों पर अमल करता नहीं दिखता है. हां, यह बात सही है कि 2019 लोकसभा चुनाव में सलोन में फूड पार्क व आलू उत्पादन से जुड़े प्रोडक्ट के मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की बात जोरदार तरीके से राजनीतिक दलों द्वारा रखी गई थी.

चुनाव जीतने के बाद उन सभी वादों को अमल में लाने का दारोमदार खुद स्मृति ईरानी पर था, लेकिन अभी तक जमीन पर कुछ भी होता नहीं दिख रहा है. यहां के आलू किसानों को पर्याप्त बीज नहीं मिल रहे हैं. नहरों में पानी तक नहीं है. आलू के सुरक्षित भंडारण के लिए बनाए गए राजकीय शीत गृह भी लंबे अरसे से बंद पड़े हैं. किसानों के लिए उत्पाद बेचने की मंडी तक नहीं है. ऐसी सूरत में कैसे आलू किसान तरक्की करेगा? यह सब सरकार व सांसद की सक्रियता नहीं दर्शाता है. जमीन पर दावे खरे उतरते नहीं दिखते हैं.

जल्द स्मृति ईरानी देंगी सलोन को सौगात
वहीं भाजपा 'मेगा फूड पार्क' के मुद्दे पर कतई बैकफुट पर नजर नहीं आती है. उसका दावा है कि सलोन के लिए कई परियोजनाओं की घोषणा स्मृति ईरानी ने की है. जल्द ही यहां के फूड पार्क को लेकर भी घोषणा की जाने वाली है. सलोन से भाजपा एमएलए दल बहादुर कोरी कहते हैं कि ओडीओपी के तहत रायबरेली जिले में लकड़ी से जुड़े 'काष्ठ कला' का चयन हुआ था, जबकि इस जनपद में यह काम बेहद सीमित है. आलू से जुड़े उत्पादों को ओडीओपी में लेकर आने के भी प्रयास किए जा रहे हैं. खुद केंद्रीय मंत्री व अमेठी सांसद स्मृति ईरानी इस दिशा में काम कर रही हैं. जल्द ही इसके परिणाम भी देखने को मिलेंगे. इसके अलावा फूड पार्क व आलू के प्रोसेसिंग यूनिट को लेकर भी जल्द ही बड़ी घोषणा होने वाली हैं. स्मृति ईरानी सलोन को बड़ी सौगात देने जा रही हैं.

केंद्रीय मंत्री के निर्देशों को अमल में लाया जाएगा
रायबरेली के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव का कहना है कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की मंशा के अनुरूप सलोन क्षेत्र में आलू उत्पादन व उससे जुड़े प्रोडक्ट्स का हब बनाने को लेकर प्रयास तेज हो गए हैं. जल्द ही उसे मूर्त रूप दिया जा सकेगा.

सलोन क्यों है अमेठी-रायबरेली की राजनीति का केंद्र
रायबरेली जनपद की तहसील सलोन अमेठी संसदीय सीट का अंग है. यही कारण है कि सोनिया गांधी नहीं स्मृति ईरानी यहां की सांसद हैं. लंबे अरसे तक यहां पर गांधी परिवार का ही दबदबा रहा है. संजय गांधी व राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी भी अमेठी सांसद रह चुकी हैं. स्मृति से पहले राहुल गांधी भी सालों तक यहां के सांसद रहे हैं., लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को यहां करारी शिकस्त मिली थी और स्मृति ईरानी की अगुवाई में कमल अमेठी में खिला था.

आलू उत्पादन के मामलें में सलोन का आखिर क्यों है दबदबा

  1. दुनिया भर में आलू के उत्पादन में भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर है.
  2. भारत का करीब 35 से 40 फीसदी आलू उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है.
  3. यूपी में फर्रुखाबाद, आगरा के बाद रायबरेली जिले की सलोन तहसील बेल्ट आलू उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर है.
  4. सरकारी आंकड़ों में दर्ज जानकारी के अनुसार वर्ष 2018-19 में जिले में करीब 5,065 हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती हुई.
  5. इस दौरान करीब 2 करोड़ 65 लाख 800 क्विंटल आलू की पैदावार रायबरेली में हुई, जिनमे से 70% फीसदी आलू का उत्पादन सलोन क्षेत्र में हुआ.
  6. सलोन क्षेत्र मुख्य रूप से 'लाल आलू' उत्पादन का हब माना जाता है. इस खास किस्म की आलू की डिमांड पश्चिम बंगाल, बिहार व असम समेत नार्थ ईस्ट में ज्यादा है.
  7. इसके साथ ही 'लाल आलू' को फूड प्रोसेसिंग के लिए भी ज्यादा मुफीद माना जाता है.
  8. आलू की खासियत यह है कि इसकी मांग साल भर रहती है. साथ ही इससे जुड़े प्रोडक्ट्स जैसे चिप्स, पापड़, नमकीन इत्यादि की डिमांड देश-दुनिया के तमाम देशों में लगातार बनी रहती है.

सलोन के आलू किसानों की प्रमुख समस्याएं

  1. बीज का अभाव- आलू किसानों को पर्याप्त मात्रा में आलू के बीज का उपलब्ध न होना यहां की बड़ी समस्या है. जानकार बताते हैं कि जहां पांच हजार हेक्टेयर से ज्यादा की भूमि में आलू की खेती होती है, वहीं उद्यान विभाग बीज महज 250 हेक्टेयर भूमि के लिए उपलब्ध करा पता है.
  2. पानी का आभाव-सलोन क्षेत्र में आलू किसानों के खेतों के लिए पानी की काफी कमी है. छोटी-बड़ी सभी मिलाकर कुल 30 नहरों का जाल यहां के किसानों के लिए बिछाया गया था, लेकिन वर्तमान में यह नहरें बिना पानी के किसानों को मायूस कर रही हैं.
  3. पर्याप्त भंडारण क्षमता का आभाव- आलू के लिए पर्याप्त भण्डार क्षमता बेहद आवश्यक है. करीब डेढ़ दर्जन कोल्ड स्टोरेज होने के बावजूद इस क्षेत्र में शीत गृहों की भी कमी है. जानकार उत्पादन के लिहाज से कम से कम 50 शीत गृहों की नितांत आवश्यकता बताते हैं. इंदिरा गांधी के दौर में बने राजकीय शीत गृह भी लंबे अरसे से बंद पड़े हैं.
  4. आलू व उससे जुड़े उत्पादों को क्रय करने के लिए सलोन में मंडी व बाजार की कमी भी साफतौर पर देखी जा सकती है. यही कारण है कि इस क्षेत्र में फूड पार्क व प्रोसेसिंग यूनिट की बात सभी सियासी दलों के नेताओं द्वारा की जाती है.
  5. निर्बाध बिजली आपूर्ति- इस क्षेत्र में किसानों व फूड पार्क के काम में निर्बाध बिजली आपूर्ति के न होने की भी अड़चन सभी के सामने है.
Last Updated : Nov 21, 2020, 7:40 PM IST

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