प्रयागराज: शहर को नैनी से जोड़ने वाला यमुना ब्रिज जब से बना है, तब से ही यह सुर्खियों में है. संगमनगरी के लोग इस ब्रिज को शापित ब्रिज मान चुंके हैं. आए दिन कोई न कोई इस पुल से कूदकर जान दे रहा है. 20 साल पूरा करने के बाद भी अभी तक ब्रिज पर सुरक्षा के लिहाज से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. यमुना ब्रिज साल 2000 में निर्मित किया गया था. 20 साल पूरे होने पर अब तक लगभग 1 हजार से अधिक लोगों ने ब्रिज से कूदकर जान दी है. 20 सालों में इस पुल से कूदकर जान देने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है.
2000 में शुरू हुआ था पुल बनाने का काम
प्रयागराज सिटी को नैनी की ओर यमुना नदी के ऊपर बने यमुना ब्रिज बनाने का काम साल 2000 में शुरू हो गया था. इसके बाद साल 2004 को यह पुल पूरी तरह से तैयार हो गया था. इसके बाद इस पुल से होकर लोग नैनी से होते हुए मिर्जापुर और मध्यप्रदेश की ओर जाने को बेहतरीन रास्ता मिला है. नैनी ब्रिज को पूरी तरह से स्टील और केबिल पर टिकल पुल बनाया गया है. यह ब्रिज जितना ही अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है, उससे कहीं ज्यादा सुसाइड पॉइंट के नाम से जाना जाने लगा है.
नहीं रुक रहा है आत्महत्या का सिलसिला
20 साल पूरा करने के बावजूद अभी तक ब्रिज पर सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है. ब्रिज का आधा हिस्सा नैनी थाना के अंतर्गत आता है और आधा भाग कीडगंज थाना के अंतर्गत आता है. सुरक्षा के लिए गार्ड की तैनाती की गई है, लेकिन आत्महत्या का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है. अपनी जिंदगी से निराश और परेशान लोग मरने के लिए पुल से यमुना नदी में छलांग लगाते हैं, लेकिन नाव चालक बहुत से लोगों को बचा लेते हैं. यमुना ब्रिज से मरने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है.
हर दूसरे दिन होती हैं मौत की घटनाएं
समाज सेवी अभय बाबा अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि नैनी को जोड़ने वाले यमुना ब्रिज का किसी ने उद्घाटन नहीं किया है, जब इस पुल का शुभारंभ किया गया तो उसी दिन पुल में एक्सीडेंट होने से दो लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद से हर दूसरे दिन यमुना ब्रिज से कूदकर जान देने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिस तरह से विदेशों में यह फिर अन्य शहरों में एक सुसाइड पॉइंट होता है, उसी तरह से प्रयागराज में नैनी यमुना का पुल सुसाइड पॉइंट के नाम से जाना जाता है.