प्रयागराज: जान जोखिम में डालकर लोगों को नदी पार कराने वाली सोना के सामने रोजी-रोटी का संकट है. सोना के हथसरा-बंधवा घाट पर इकलौती नाव संचालिका हैं. महिला नाव संचालिका टोंस नदी पर बने घाट पर नाव की डोर थामे लोगों को इस पार से उस पार कराने का काम निरन्तर कर रही है. हालांकि अनगिनत लोगों को नदी पार कराने वाली सोना की जिंदगी मझधार में अटकी हुई है.
'सोना' ने थामी जिम्मेदारियों की डोर, कोई तो ध्यान दो इस ओर
प्रयागराज जिले में प्रवाहित टोंस नदी में बने हथसरा-बंधवा घाट पर नाव संचालन का कार्य कर रहीं सोना आर्थिक तंगी से जूझ रही है. वो अपने पति के साथ मिलकर लोगों को नदी पार करने में मदद करती है, लेकिन उनके सामने आर्थिक समस्याओं का अंबार है. सोना के अनुसार उन्हें सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं दिया गया.
आर्थिक तंगी के कारण सोना चला रहीं नाव
आर्थिक तंगी के कारण सोना पिछले पांच साल से टोंस नदी पर नाव संचालन का कार्य कर रही है. पहले ये कार्य उसके ससुर किया करते थे, लेकिन उनके निधन के बाद सोना ने नाव संचालन की बागडोर संभाल ली. हालांकि उनके इस काम में पति का भी सहयोग मिलता है, लेकिन परिवार बड़ा होने के कारण उन्हें मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण परिवार का भरण पोषण करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
लॉकडाउन में दो वक्त की रोटी का रहा संकट
सात बेटियों की जिम्मेदारी ने सोना को आत्मनिर्भर बनने की राह चुनने का रास्ता दिखाया. हालांकि सरकार ने नाविकों के उत्थान और जीविकोपार्जन के लिए काफी योजनाएं भी चलाईं है, लेकिन सोना को उसका लाभ कभी नहीं मिला. सरकार ने गांव-ग्रामीणों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए भी योजनाएं लांच की, लेकिन इस महिला का गरीब परिवार आज भी योजनाओं का लाभ पाने से वंचित है. लॉकडाउन में उनके परिवार के सामने दो वक्त की रोटी का संकट था, लेकिन उन्हें सरकार के किसी नुमाइंदे की तरफ से मदद का भरोसा नहीं दिया गया. उन्हें आशा है कि सरकारी सुविधाओं का कभी न कभी लाभ जरूर मिलेगा, जिसके लिए वो आज भी टकटकी लगाए बैठी हैं. अब देखना है उनकी आर्थिक मझधार की नैया को पार लगाने के लिए उनके घाट पर कौन पहुंचेगा?