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आरोपी जावेद पंप के इरादे जानने के बाद भी क्यों नाकाम हुई पुलिस, प्रयागराज हिंसा में उठे सवाल - CRIME IN PRAYAGRAJ

प्रयागराज हिंसा में अब पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं. दरअसल, पुलिस ने हिंसा के मास्टरमाइंड जावेद पंप उर्फ जावेद मोहम्मद के खिलाफ उपद्रव से एक दिन पहले ही धारा 107/116 की कार्रवाई की थी. जहां जावेद मोहम्मद के ऊपर आरोप था कि वह झूठी अफवाहों को बढ़ा चढ़ा कर धार्मिक उन्माद फैला रहा है.

जावेद पंप.
जावेद पंप.

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Published : Jun 17, 2022, 7:50 AM IST

Updated : Jun 17, 2022, 8:08 AM IST

प्रयागराज:संगम नगरी में शुक्रवार को हुए उपद्रव पत्थरबाजी और बवाल के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस ने घटना के मास्टरमाइंड जावेद पंप उर्फ जावेद मोहम्मद के खिलाफ उपद्रव से एक दिन पहले ही धारा 107/116 की कार्रवाई की थी. जिसमें जावेद मोहम्मद के ऊपर आरोप था कि उसके द्वारा आस पास तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही है. इसके साथ ही उसके द्वारा झूठी अफवाहों को बढ़ा चढ़ा कर धार्मिक उन्माद फैलाया जा रहा है. यही नहीं खुल्दाबाद थाने की पुलिस को यह भी पता चल गया था कि अभियुक्त जावेद पंप धार्मिक वैमनस्यता फैलाने की गतिविधियों में भी शामिल है. उसके इस काम से सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है जिससे कभी भी शांति भंग हो सकती है. इसे लेकर करेली थाने के इंंस्पेक्टर की तरफ से न्यायालय से जावेद पंप के साथ ही तीन दूसरे आरोपियों को अधिक से अधिक धनराशि के मुचलके पर पाबंद किए जाने की मांग की गई थी.

इंस्पेक्टर करेली की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर जावेद पंप को सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में 17 जून को पेश होने को कहा गया था. इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी से पूछा था कि क्यों न उससे 5 लाख रुपये बांड साल भर के लिये जमा करवाया जाए. इस नोटिस में जावेद पंप के साथ ही अनवारुल हक और नौशाद को भी इसी मामलों का आरोपी बताया गया है साथ ही चौथे आरोपी के रुप में रजत दुबे का नाम शामिल है.

करेली पुलिस की तरफ से इन्हीं चार आरोपियों के खिलाफ 9 जून को धारा 107/116 की कार्रवाई की गई थी. पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर एक नहीं बल्कि कई सवाल भी उठने लगे हैं. स्थानीय पुलिस ने जब 9 जून को जावेद पंप के खिलाफ ये कार्रवाई की तो इसका मतलब है कि पुलिस को इसकी जानकारी और पहले ही मिली होगी. इसके बाद भी पुलिस ने जुमे की नमाज के दिन उसे खुला कैसे और क्यों छोड़ दिया. जब पुलिस को पहले से ही पता चल चुका था कि जावेद इलाके में धार्मिक भावनाओं को भड़का रहा है. उसके इरादे नेक नहीं है और वह शहर का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा है तो आखिर क्यों नहीं पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की. इतने संवेदनशील मामले की जानकारी होने के बावजूद भी थाने की तरफ से लापरवाही क्यों बरती गई. जावेद पंप के इरादे नेक नहीं थे उसकी जानकारी मिलने के बाद थाने की तरफ से क्यों नहीं वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी गई.

खुल्दाबाद थाने में पहले से दर्ज थे जावेद पर 3 मुकदमें
यही नहीं सीएए एनआरसी के आंदोलन के दौरान 2020 में भी जावेद पंप के खिलाफ 3 मामले दर्ज किए गये थे. लेकिन उसके बावजूद जावेद पंप को लगातार पीस कमेटी की बैठकों में बुलाकर उसकी आवभगत की जाती थी. कमिश्नर डीएम और एसएसपी स्तर के अफसरों के साथ बैठकर वो जिले में अमन शांति कायम करने की योजनाएं बनाता था. ये सब कुछ ऐसे सवाल हैं जो पुलिस की कार्यशैली पर तमाम तरह के सवाल खड़े कर रही है, लेकिन इन सवालों को जवाब फिलहाल कोई जिम्मेदार देने को तैयार नहीं है. लेकिन इन सवालों की वजह से स्थानीय पुलिस प्रशासन पर भी कई सवाल उठने लगे हैं. जबकि 10 जून के बाद जावेद पंप के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उसे मास्टरमाइंड घोषित कर दिया गया. 11 जून को उसे जेल भेजने के बाद 12 जून को जावेद जिस घर में रहता था उसे जमींदोज कर दिया गया. जबकि जावेद की पत्नी का दावा है कि घर उसके पति के नहीं बल्कि खुद के नाम पर था.

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Last Updated : Jun 17, 2022, 8:08 AM IST

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