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प्रयागराज में बढ़ा गंगा का जलस्तर, तटीय इलाकों में तेजी से हो रही कटान - क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा

प्रयागराज में गंगा का जलस्तर बढ़ने के बाद नदी के तटीय इलाकों में कटान शुरू हो गई है. साथ ही नदी का जलस्तर बढ़ने से गंगा किनारे रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है. उधर, घाटों पर रहने वाले पुरोहित इसको अच्छा संकेत मान रहे हैं.

प्री मानसून के आते ही बढ़ा संगम का पानी
प्री मानसून के आते ही बढ़ा संगम का पानी

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Published : Jun 25, 2021, 6:16 PM IST

प्रयागराज: प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा नदी उफान पर है. प्रयागराज में गंगा का जलस्तर एक मीटर बढ़ गया है. जिसके बाद जलस्तर बढ़ने से तटीय इलाकों में तेजी से कटान शुरू हो गया है. जिसके कारण घाटों पर रहने वाले तीर्थ पुरोहित, नाविक और अन्य लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हालांकि गंगा के जलस्तर बढ़ने को संगम तट पर रहने वाले तीर्थपुरोहित शुभ संकेत मान रहें हैं. पुरोहित इसको खेती और किसानी के लिए अच्छा मान रहे हैं.

लोगों की मुसीबत बढ़ी

जानकारी के अनुसार हरिद्वार और कानपुर से लगभग 4 लाख क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया है जो अगले कुछ दिनों के अंदर प्रयागराज पहुंच सकता है. इससे तटीय इलाकों में रहने वाले 2 से 3 हजार घरों के लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. गंगा नदी का जलस्तर पिछले तीन दिनों के भीतर अचानक लगभग एक से डेढ़ मीटर के करीब बढ़ा है. जिसके कारण घाटों पर रहने वाले तीर्थ पुरोहित, नाविक और अन्य लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

कई लाख क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया है जो अगले कुछ दिनों के अंदर प्रयागराज पहुंच सकता है. इसके चलते संगम के घाटों पर तख्त लगाकर रहने वाले तीर्थ पुरोहित हो या फेरीवाले सभी को गंगा के घाटों को छोड़कर ऊपर की सतह पर आने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

जल स्तर बढ़ने से स्थानीय लोगों का जमावड़ा लग रहा है. स्थानीय आलोक शर्मा का कहना है जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में शासन को कुछ करना चाहिए. ताकि उनकी जीविका चलती रहे.

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वहीं, नाविक संघ के मंत्री मगन निषाद का कहना है कि संगम में जलस्तर बढ़ने से सबसे ज्यादा दिक्कत घाट के निचले इलाकों में रहने वालों को होती है. जलस्तर में यदि इसी तरह वृद्धि होती रही तो खतरा भी बढ़ेगा. ऐसे मुश्किल समय में प्रशासन को आगे आकर इनके लिए कुछ करना चाहिए.

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