प्रयागराजःराजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज में शनिवार को आयोजित आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के अवसर पर राष्ट्रधर्म एवं राष्ट्रवाद विषय पर व्याख्यान देते हुए मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति रणविजय सिंह ने कहा कि हम विश्व गुरु तभी हो सकते हैं, जब हमारे अंदर समता, समरसता और सरलता का भाव हो. उन्होंने कहा कि सर्वे भवंतु सुखिन: को मानने एवं पालन करने वाले हम भी अखिल ब्रह्मांड में व्याप्त हैं लेकिन वर्तमान दौर में अत्यधिक सतर्कता और सजगता की आवश्यकता है.
रणविजय सिंह ने की शिक्षकों से अपील
राष्ट्रवाद का उदाहरण देते हुए न्यायमूर्ति रणविजय सिंह ने बताया कि सुभाष चंद्र बोस के एक आह्वान पर जनमानस अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तत्पर रहता था, यही राष्ट्रवाद है. उन्होंने कहा कि हमारा चिंतन समष्टिपरक है. इस कारण हम कभी भी विभेद कर ही नहीं सकते. उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में तो जीव के साथ-साथ प्राणी मात्र के कल्याण का भी विषय छुपा हुआ रहता है. जब हम विश्वकल्याण की बात करेंगे तो हमारा कल्याण स्वयं हो जाएगा. उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षकों से अपील की कि वे अपने मस्तिष्क का उपयोग राष्ट्रवाद के लिए करें.
पुलिस महानिरीक्षक ने बताया राष्ट्रवाद
विशिष्ट अतिथि प्रयागराज जोन के पुलिस महानिरीक्षक कविंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि किसी देश की पहचान उसके धर्म से ही होती है और बहुसंख्यक लोगों के आधार पर देश का धर्म बनता है. उन्होंने कहा कि हमें इस बात की खुशी है कि आजादी के 75वें वर्ष पर आयोजित होने वाले अमृत महोत्सव में हम सभी शरीक हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब राष्ट्र में रहने वाले लोगों की मान्यताएं, धर्म, संस्थाएं इत्यादि एक सोच से प्रेरित होकर कार्य करने लगें तो वही राष्ट्रवाद है.