प्रयागराज: यूपी के प्रयागराज में संगम के नजदीक एक ऐसा शिवलिंग स्थापित है, जिसकी स्थापना भगवान सूर्य देव ने की थी. परमपिता ब्रह्माजी के आदेश पर जनकल्याण के लिए आरोग्यता के देवता सूर्य देव ने संगम के पास अक्षयवट के ठीक सामने एक शिवलिंग को स्थापित कर उसकी पूजा अर्चना की थी. शिवपुराण और स्कन्द पुराण में इस मंदिर का वर्णन शूल टंकेश्वर महादेव मंदिर के नाम से किया गया है. यहां पर दर्शन और पूजा करने से भगवान शिव के साथ ही सूर्यदेव भी प्रसन्न होते हैं. शिवलिंग की स्थापना के समय सूर्य देव के ताप की वजह से इस शिवलिंग में लकीरें बन गयी थीं, जो आज भी दिखती हैं.
शिवलिंग की पूजा से महादेव के साथ प्रसन्न होते हैं सूर्यदेव
भगवान सूर्य के द्वारा स्थापित किये गए इस इस शिवलिंग पर जल चढ़ाकर उसकी पूजा करने से न सिर्फ भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं, बल्कि उनके साथ सूर्यदेव भी प्रसन्न होते हैं. मान्यता यह भी है कि इस शिवलिंग की पूजा करने से एक साथ भगवान शिव और सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. शूल टंकेश्वर महादेव मंदिर के पीछे एक सूर्य देव का मंदिर भी बना हुआ है, जिसके बारे में बताया जाता है कि सदियों पहले कई ऋषि मुनि इस मंदिर में तपस्या करते थे. उसी वक्त से यहां पर सूर्य देव का मंदिर भी स्थापित किया गया था. फिलहाल यहां आने वाले भक्त सूर्यदेव के मंदिर में जाकर उनका भी दर्शन करते हैं.
इस शिवलिंग में दिखती हैं रेखाएं
भगवान सूर्य के हाथों से स्थापित किये गये इस शिवलिंग की तरह दूसरा शिवलिंग पूरे प्रयागराज में कहीं और देखने को नहीं मिलता है. बताया जाता है कि जब भगवान सूर्य इस शिवलिंग की स्थापना कर रहे थे, तो उनके तेज ताप की वजह से शिवलिंग में रेखाएं बन गयी थीं. जो रेखाएंउस वक्त सूर्य देव के ताप से बनी थीं आज भी इस शिवलिंग में स्पष्ट तौर पर दिखती हैं. शिवलिंग को छूने पर भी उसमें लकीरों के होने का आभास होता है.
शूलटंकेश्वर महादेव मंदिर संगम के पास अरैल इलाके में स्थापित है, जहां पर मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर भोले नाथ का जलाभिषेक कर उनकी उपासना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में शिव जी का विधिविधान के साथ जलाभिषेक कर उनकी पूजा-अर्चना की जाए तो निसन्तान दंपत्ति को संतान की भी प्राप्ति होती है.