प्रयागराज: उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने लॉकडाउन में परेशान वकीलों की आर्थिक सहायता देने के मामले में इलाहाबाद हाइकोर्ट द्वारा पारित आदेश में संशोधन के लिए अर्जी दाखिल करने का फैसला लिया है. बार काउंसिल का मानना है कि हाइकोर्ट के आदेश में अस्पष्टता है, जिनकी वजह से उसे न्यासी समिति से धनराशि मिलने में बाधा आ रही है. मदद के वितरण को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है.
इस मुद्दे को लेकर बार काउंसिल के सदस्यों की रविवार को दोबारा बैठक हुई. हरिशंकर सिंह की अध्यक्षता में हुईं बैठक में बार काउंसिल ने कहा कि न्यासी समिति 100 करोड़ रूपये दे और शेष राशि बार काउंसिल को दी जाए. बैठक में कहा गया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मिलने वाली एक करोड़ रूपये की मदद भी अभी तक नहीं मिली है.
हाईकोर्ट के आदेश पर बार काउंसिल ने वकीलों की सहायता की योजना तैयार करने के लिए शनिवार को बैठक बुलाई थी, जिसमें कुछ तय नहीं हो पाया था. बैठक में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए सदस्यों में अध्यक्ष हरिशंकर सिंह, उपाध्यक्ष देवेन्द्र मिश्र नगरहा, बार काउंसिल आफ इंडिया के सदस्य श्रीनाथ त्रिपाठी, सदस्य सचिव अजय यादव, सदस्यगण अब्दुल रज्जाक खां, अरूण कुमार त्रिपाठी, अजय कुमार शुक्ल, अखिलेश कुमार अवस्थी, जानकी शरण पांडेय, प्रशान्त सिंह अटल, प्रदीप कुमार सिंह, राकेश पाठक, पांचूराम मौर्य, अमरेन्द्र नाथ सिंह एवं रोहिताश्व कुमार अग्रवाल शामिल थे.
उत्तर प्रदेश अधिवक्ता निधि अधिनियम के तहत न्यासी समिति गठित की गई है. न्यास मे धन की व्यवस्था करने के लिए हर हलफनामे पर 10 रूपये का स्टैम्प लगाना अनिवार्य किया गया है. इसी राशि से अधिवक्ता भविष्य निधि दी जा रही हैं. 25 साल वकालत पर या वकालत छोड़ने पर सदस्यों को डेढ़ लाख रूपये एकमुश्त भुगतान किया जाता है. साढ़ें पांच हजार सदस्यता शुल्क जमा कराया गया है. ढाई सौ करोड़ से अधिक राशि जमा होने पर बार काउंसिल ने वकीलों की मौत पर पांच लाख रूपये दिये जाने की योजना भी चल रही है.