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यूपी बार काउंसिल ने आधी की सीओपी की फीस, देने होंगे केवल 250 रुपए - सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस की फीस आधी

यूपी बार काउंसिल के नवनिर्वाचित अध्यक्ष शिवकिशोर गौड़ ने वकीलों की मांग कर सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस फीस घटा कर आधी कर दी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 22, 2023, 10:51 PM IST

प्रयागराज:यूपी बार काउंसिल ने वकीलों के सीओपी (सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस) की फीस पांच सौ रुपये से घटाकर ढाई सौ रुपये कर दी है. यूपी बार काउंसिल के नवनिर्वाचित अध्यक्ष शिवकिशोर गौड़ एवं उपाध्यक्ष अनुराग पांडेय ने मगंलवार को मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रदेशभर के अधिवक्ता सीओपी की फीस कम करने की मांग कर रहे थे. इसे देखते हुए उन्होंने पद संभालने के तुरंत बाद सदस्यों के साथ बैठक कर सीओपी की फीस आधी करने का निर्णय लिया है.

उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व उपाध्यक्ष जय नारायण पांडेय को सदस्य सचिव नामित किया गया है और उन्होंने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया है. श्री गौड़ व श्री पांडेय ने बताया कि आईपीसी, सीआरपीसी एवं एविडेंस एक्ट की जगह प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं प्रदेश के सभी बार एसोसिएशन और विधिवेत्ताओं से उनकी राय मांगी जाएगी. जिसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. ताकि वर्षों से चली आ रही व्यवस्था में परिवर्तन से किसी को परेशानी न हो. क्योंकि न्यायमूर्ति, न्यायाधीश, अधिवक्ता, विधि वेत्ता एवं विधि छात्र जिन धाराओं के अनुरूप कार्य व अध्ययन करते आए हैं. उन्हें अत्यधिक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े.

शिवकिशोर गौड़ एवं अनुराग पांडेय ने प्रदेश भर के अधिवक्ताओं से अपनी गरिमा को बनाए रखने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि अधिवक्ता समाज का निर्माता होता है. इसलिए अधिवक्ता इस बात का ध्यान रखें कि उन्हें अधिवक्ता होने का लाइसेंस इसलिए नहीं दिया गया है कि वह मारपीट और उद्दंडता करें व आपराधिक कार्यों में लिप्त रहें. ऐसे समस्त अधिवक्ताओं की सूची तैयार की जा रही है और उन्हें यथाशीघ्र चिन्हित कर विधि कार्य से बाहर किया जाएगा.

उन्होंने अधिवक्ताओं को यह आश्वासन भी दिया कि उनके यहां यदि कोई अधिकारी, न्यायिक अधिकारी या कोई दबंग किसी प्रकार की ज्यादती करेगा, तो बार काउंसिल उनकी लड़ाई स्वयं लड़ेगी. लेकिन इस शर्त के साथ कि अधिवक्ता या स्थानीय बार एसोसिएशन यूपी बार काउंसिल को सही सूचना देगी. उन्होंने अधिवक्ताओं से अनुरोध किया कि संयम बरतते हुए अपने आपको अधिवक्ता के रूप में सृजित करें. ऐसी स्थिति बनाएं कि अधिवक्ताओं की समाज में प्रतिष्ठा कायम रहे.

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