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डॉ. अजय मालवीय, जिन्होंने उर्दू में लिखी रामकथा - unique initiative of dr. ajay malaviya

प्रयागराज के एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज में उर्दू विषय के प्रवक्ता डॉ. अजय मालवीय ने यूं तो उर्दू में हिंदू मजहब से जुड़ीं कई किताबें लिखी हैं, लेकिन हाल ही में उनके द्वारा लिखी गई 'उर्दू में रामकथा' सुर्खियों में हैं. देखिए ये रिपोर्ट-

डॉ. अजय मालवीय
डॉ. अजय मालवीय

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Published : Dec 15, 2020, 3:53 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 4:58 PM IST

प्रयागराज: जिले के एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज में उर्दू विषय के प्रवक्ता डॉ. अजय मालवीय ने यूं तो उर्दू में हिंदू मजहब से जुड़ी कई किताबें लिखी हैं, लेकिन हाल ही में उनके द्वारा लिखी गई 'उर्दू में रामकथा' सुर्खियों में हैं. 'उर्दू में राम कथा' हिंदुस्तानी गंगा-जमुना तहजीब का मुकम्मल आईना है. साथ ही यह रामकथा कौमी एकता और भाईचारे का भी पैगाम देती है. यह भी कहा जा सकता है कि यह किताब जात, महजब के नाम पर दूरियां मिटाने का भी एक जरिया है.

प्रयागराज के डॉ. अजय मालवीय

उर्दू में सांप्रदायिक सौहार्द की झलक

प्रयागराज के डॉ. अजय मालवीय ने उर्दू में लिखी गई राम कथा साहित्य को हिंदी और अन्य भाषाओं में लिखने का संकल्प लिया है. डॉ. मालवीय अब तक ऐसी 12 पुस्तकें लिख चुके हैं, जो उर्दू भाषा में भगवान राम के चरित्र और संदेश को दर्शाती हैं. अजय मालवीय का कहना है कि उर्दू में भी सांप्रदायिक सौहार्द की एक मजबूत झलक उर्दू भाषा में लिखी गई इन साहित्यकारों की रचनाओं में है, जिन्हें आजतक अनदेखा किया जा रहा है.

श्रीमद्भगवद्गीता के 83 ग्रंथों का किया अनुवाद

डॉ. मालवीय ने श्रीमद्भगवद्गीता के उर्दू में लिखे गए 83 ग्रंथों का भी विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया है. प्रयागराज शहर के एंग्लो बंगाली कॉलेज में पिछले 22 वर्षों से उर्दू पढ़ा रहे इस अनोखे शिक्षक ने उर्दू में आज तक न प्रकाशित हुईं 37 राम कथाओं का भी उर्दू और हिंदी में प्रकाशन किया है, जो अपने आप में एक कीर्तिमान है. डॉ. अजय मालवीय वर्तमान में साहित्य अकादमी में उर्दू के सलाहकार हैं. उनकी सबसे पहली पुस्तक 1936 में पाकिस्तान में तालिब इलाहाबादी द्वारा राम की कथा पर लिखी गई उर्दू की पुस्तक का अनुवाद है, जो काफी चर्चित हुई.

क्या कहना है डॉ. मालवीय का

डॉ. मालवीय कहते हैं कि जबतक इस्लाम धर्म को मानने वाले उर्दू के लोगों के हाथ से लिखी गई राम की कथा और उनके संदेश को नहीं समझेंगे, तब तक सांप्रदायिक सौहार्द का रास्ता नहीं निकलेगा. यही वजह है कि उन्होंने उर्दू भाषा में लिखी गई रामकथा के साहित्य को सामने लाने का प्रयास किया है, जो विभिन्न भाषाओं के प्रकाशन के रूप में उनके माध्यम से सामने आया है.


उर्दू अकादमी से हुए सम्मानित

डॉ. मालवीय को उर्दू जबान में नुमाया कामयाबी और उनके खिदमात के लिए उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी से उनको सम्मानित किया गया. इसके अलावा बिहार उर्दू अकादमी ने भी उर्दू में बेहतरीन खिदमात के लिए अवार्ड से नवाजा. डॉक्टर मालवीय का कहना है कि वह अवार्ड के लिए यह काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि हिंदुस्तान की जबान उर्दू को हर तबके तक पहुंचाने और कोमी एकता को बरकरार रखने के लिए ये काम कर रहे हैं.

श्रीकृष्ण का दिया उपदेश

डॉक्टर मालवीय आगे कहते हैं कि अपना काम करते रहिए फल की इच्छा न करिए. श्रीमद्भगवद्गीता में भी श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था कि 'फल की इच्छा मत करो आप अपना कर्म करिए, आपका मकसद है कर्म करना' तो मैं कर्म कर रहा हूं. इनाम के लिए कोई कार्य नहीं कर रहा हूं. बता दें कि डॉ. मालवीय ने वैदिक अदब और उर्दू, उर्दू में हिन्दू धर्म, उर्दू में राम कथा (हिंदी में प्रकाशित), श्रीमद्भागवत गीता (उर्दू में प्रकाशित) आदि कई पुस्तकों को हिंदी और उर्दू में प्रकाशित किया गया.


उर्दू साहित्य में पुस्तकों का वैरायटी कम है. उन्होंने ऐसे विषयों का चयन किया, जिसमें साहित्य कम है. उन्होंने इसकी खोज की और इसको विशाल बनाने के लिए उर्दू, हिंदी का समागम करके ऐसी पुस्तकें लिखीं जो हमारे हिंदू साहित्य प्रेमी भी पढ़ सकें. साथ ही मुस्लिम भाई-बहनों का भी इसमें रुझान हो, जो हिंदू धर्म को जाने. भाषा क्यों न आलग-आलग हो, धर्म क्यों न अलग-अलग हो, लेकिन साहित्य एक है. साहित्य का मकसद है लोगों में एकजुटता पैदा करना. हम आपको जान सकें और आप हमें जान सकें.

-अलका, पाठक

Last Updated : Dec 15, 2020, 4:58 PM IST

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