प्रयागराज:ज्योतिष में त्रिपुष्कर योग (tripushkar yog) को काफी शुभ योग माना गया है. कहा जाता है कि इस दौरान किये गये कार्यों में इंसान को सफलता प्राप्त होती है. ज्योतिषी राजेन्द्र गुप्ता के अनुसार, तीन ग्रहों के मिलने से यह योग बनता हैं. शनिवार, मंगलवार और रविवार के दिन बनने वाले इस खास योग से जबरदस्त फायदा हो सकता है.
क्या है त्रिपुष्कर योग
जब रविवार, मंगलवार व शनिवार के दिन द्वितीया, सप्तमी व द्वादशी में से कोई तिथि हो और इन 2 योगों के साथ उस दिन विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, पुनर्वसु व कृत्तिका नक्षत्र हो, तब त्रिपुष्कर योग (tripushkar yoga) बनता है. द्विपुष्कर योग(dwipushkar yoga) की भांति ही त्रिपुष्कर योग में भी जिस कार्य को किया जाता है, वह 3 गुना फल( tiguna labh) देता है.
त्रिपुष्कर योग का शुभाशुभ से कोई सीधा संबंध न होकर उस दिन के आनंदादि योग के फल को त्रिगुणित अर्थात 3 गुना करने से है. त्रिपुष्कर योग वाले दिन यदि कोई शुभ कार्य किया जाए तो उसके फल में 3 गुना वृद्धि होती है, वहीं इस योग वाले दिन यदि कोई अशुभ मुहूर्त बना हो तो वह भी अपनी अशुभता में 3 गुना वृद्धि करता है. अत: त्रिपुष्कर योग वाले दिन भी मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
त्रिपुष्कर योग में करें ये कार्य
ज्योतिषी राजेन्द्र गुप्ता कहते है कि इस योग में खरीदारी करना आपके लिए शुभ हो सकता है. तिगुना लाभ मिलने वाले इस योग के दौरान धन संबंधी शुभ काम करने चाहिए. पूजा-पाठ करना और धार्मिक यात्राएं करना इस काल में लाभदायक हो सकता है. कीमती वस्तु जैसे सोना या चांदी की खरीदारी की जा सकती हैं. इस योग के दौरान जमा किया हुआ पैसा आपके लिए फलदायी साबित हो सकता है. इस शुभ समय में जमीन-जायदाद की खरीदारी भी भविष्य में ज्यादा लाभ मिल सकता है. व्यापार से जुड़े बड़े सौदे करने के लिए यह समय उचित होता है.
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त्रिपुष्कर योग में अशुभ माने जाते हैं ये कार्य
ज्योतिषी राजेन्द्र गुप्ता ने त्रिपुष्कर योग के बारे में बताते हुए कहा कि इस योग के काल में किसी भी काम को करते समय सावधानी रखनी चाहिए. क्योंकि इस योग काल में किये गये कामों का फल तिगुना मिलता है. इस दौरान कर्ज लेने से बचना चाहिए. साथ ही वस्तुओं को बेचने से बचना चाहिए. किसी कीमती वस्तु का खोना, इस दौरान अशुभ माना गया है. मान्यता ये भी है कि रविवार, मंगलवार, संक्राति का दिन, वृद्धि योग, द्विपुष्कर योग, त्रिपुष्कर योग, हस्त नक्षत्र में लिया गया ऋण कभी नहीं चुकाया जाता. अत: इस काल में ऋण का लेन-देन भी निषेध माना गया है. त्रिपुष्कर योग में मनुष्य को गलत कार्य नहीं करने चाहिए.