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पूर्व विधायक विजय मिश्र की बयानबाजी पर हुआ पुलिसकर्मियों का निलंबन निरस्त

प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते माह आगरा से मिर्जापुर जिला न्यायालय में पेशी के दौरान पूर्व विधायक विजय मिश्र द्वारा प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और अन्य के खिलाफ अनर्गल बयान पर हुआ आठ पुलिसकर्मियों के निलंबन निरस्त कर दिया है.

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प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published : Sep 19, 2022, 10:09 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते माह आगरा से मिर्जापुर जिला न्यायालय (Mirzapur District Court) में पेशी के दौरान पूर्व विधायक विजय मिश्र (Former MLA Vijay Mishra) द्वारा प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर (ADG Law and Order) और अन्य के खिलाफ अनर्गल बयान पर हुआ आठ पुलिसकर्मियों के निलंबन निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने आरोपों को लेकर इन पुलिसकर्मियों को बगैर विभागीय जांच निलंबित करने पर आश्चर्य भी जताया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने पुलिस इंस्पेक्टर अभय नारायण तिवारी और अन्य पुलिसकर्मियों की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम और अधिवक्ता अतिप्रिया गौतम को सुनकर दिया है. आठों पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाया गया कि विजय मिश्र की पांच अगस्त 2022 को एसीजेएम प्रथम मिर्जापुर के यहां पेशी की सूचना कोर्ट में तैनात पुलिस अधिकारियों को नहीं दी गई. परिणामस्वरूप कोर्ट से लौटते समय विजय मिश्र ने पुलिस अभिरक्षा में रहते हुए अनर्गल बयानबाजी कर वीडियो रिकॉर्डिंग कराई. एडीजी लॉ एंड ऑर्डर व प्रदेश के अन्य सफेदपोश नेताओं के खिलाफ भी बयानबाजी की. विजय मिश्र के इस कार्य से मौके पर अफरातफरी मच गई थी और कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई थी. उसके बाद एसपी मिर्जापुर ने विजय मिश्र की सुरक्षा में तैनात एक पुलिस इंस्पेक्टर, दो दरोगा, दो हेड कांस्टेबल व तीन सिपाहियों को कर्तव्य पालन में लापरवाही, उदासीनता और शिथिलता के लिए तत्काल प्रभाव से पांच अगस्त 2022 को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दंड एवं अपील नियमावली) 1991 के नियम 17 (1) के प्रावधानों के तहत निलंबित करके पुलिस लाइन मिर्जापुर में संबद्ध कर दिया था.

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सीनियर एडवोकेट विजय गौतम का तर्क था कि निलंबन आदेश करते समय पुलिसकर्मियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य होने चाहिए. इस मामले में अधिकारी के पास कोई ऐसा साक्ष्य या तथ्य नहीं था, जिसके आधार पर आठ पुलिसकर्मियों का निलंबन किया जा सके. पांच अगस्त को एसपी मिर्जापुर ने आठों पुलिसकर्मियों को निलंबित किया और उसी दिन एएसपी ट्रैफिक डॉ अरुण कुमार सिंह को सात दिन के अंदर प्रारंभिक जांच करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा. इससे स्पष्ट है कि निलंबन आदेश करते समय कोई साक्ष्य नहीं था. उन्होंने कहा कि निलंबन आदेश आनन-फानन में नियम और कानून का पालन किए बगैर किया गया है.

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