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दीपक तुलसियानी खुदकुशी केस: सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता दंपती को बताया बेकसूर - allahabad city crime

बहुचर्चित दीपक तुलसियानी आत्महत्या मामले में अधिवक्ता दंपती अजय प्रकाश मिश्रा और उनकी पत्नी जया मिश्रा को लगभग 16 वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय मिला है. हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बहाल रखा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

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Published : May 14, 2021, 5:53 AM IST

प्रयागराज: इलाहबाद के बहुचर्चित दीपक तुलसियानी आत्महत्या केस में अधिवक्ता दंपति अजय प्रकाश मिश्रा व उनकी पत्नी जया मिश्रा को लगभग 16 वर्ष बाद सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय मिल गया है. हाईकोर्ट ने साक्ष्य के अवलोकन के बाद अपने निर्णय में कहा था कि साक्ष्य से यह साफ है कि दीपक तुलसियानी ने अपनी पत्नी से मोबाइल पर बात करते हुए अपनी लाइसेंसी पिस्टल से आत्महत्या कर ली. साक्ष्य में पाया गया कि मृतक की पत्नी सारे तथ्य छुपाती रही.

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रखा बरकरार
अधिवक्ता दंपति अजय प्रकाश मिश्रा और जया मिश्रा को निर्दोष करार देने वाले हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मृतक दीपक की पत्नी अर्चना तुलसियानी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के अधिवक्ता दंपति के निर्दोष करार देने वाले आदेश को सही माना और अधिवक्ता दंपति के निर्दोष होने वाले आदेश को बरकरार रखा. अधिवक्ता दंपति ने बताया कि सच बोलना महंगा पड़ गया कि अर्चना से मोबाइल पर बात करते हुए दीपक ने आत्महत्या कर ली, जिससे बचने व एलआईसी के पैसे पाने के लिए उल्टा उन्हें ही झूठे मुकदमे में फंसा दिया गया. उस समय अधिवक्ता दंपति के दोनों पुत्र जो क्रमशः 5 व 3 वर्ष के थे. जिनकी परवरिश पर बुरा प्रभाव पड़ा है.

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दीपक ने पत्नी से कॉल करते हुए की थी खुदकुशी
अधिवक्ता दंपती ने साक्ष्य व अनेक दस्तावेजों को प्रस्तुत कर न्यायालय में झूठ का पर्दाफाश किया कि कैसे अर्चना तुलसियानी अपने पति से झूठ बोलकर 3 दिन दिल्ली में कहीं गायब रहीं, जिस वजह से दोनों में झगड़ा शुरू हुआ. अर्चना तुलसियानी दिल्ली जाना भी छिपाती रहीं, जिसे रेलवे से साबित करवाने पर स्वीकारा. जब इस बात का झगड़ा बहुत बढ़ा तो दीपक ने कॉल पर बात करते हुए आत्महत्या कर ली. अर्चना तुलसियानी इस फोन कॉल को भी नकारती रहीं, किंतु न्यायालय में जब कॉल डिटेल आयी तब अर्चना ने स्वीकारा कि उस कॉल को उसने ही किया था. अधिवक्ता दंपती ने दीपक को तत्काल अस्पताल में भर्ती करवाया और खून का इंतजाम सहित समस्त चिकित्सा उपलब्ध करवायी, किंतु सारे प्रयासों के बावजूद भी दीपक को बचाया नहीं जा सका. दंपति ने यह भी बताया की इस दौरान उन्हें काफी मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी. लेकिन उन्होंने अदालत से न्याय मिलने की उम्मीद कभी नहीं छोड़ी और अंततः न्याय मिला.

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