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भगवान राम ने क्यों की थी इस शिवलिंग की स्थापना, जाने वजह - प्रयागराज भगवान राम

प्रयागराज में महादेव का एक मंदिर स्थापित है, जिसकी स्थापना खुद श्री राम ने की थी. इस मंदिर की महिमा अपार है. लोग दूर-दूर से यहां माथा टेकने आ जाते हैं.

संगम नगरी में भगवान राम की महिमा
संगम नगरी में भगवान राम की महिमा

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Published : Jan 21, 2021, 5:53 AM IST

प्रयागराज: धर्म नगरी प्रयागराज में महादेव का मंदिर, जिसकी स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी. इस मंदिर को कोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. मंदिर की स्थापना की कहानी बेहद दिलचस्प है. शहर के उत्तर गंगा तट के किनारे पूर्वी छोर पर शिवकुटी में कोटि शिव मंदिर स्थापित है.

भगवान राम ने स्थापित किया था शिवलिंग.

भगवान राम ने की स्थापना
गंगा तट पर स्थित यह एक ऐसा शिव मंदिर है, जिसकी स्थापना भगवान राम ने स्वयं अपने हाथों से की थी. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित शिवकुटी में इस मंदिर को कोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. जिसकी महिमा अपरंमपार है. यहां भक्तों की कोई भी मुराद खाली नहीं जाती. महादेव हर मुराद को पूरा कर देते हैं.

श्रीराम पर लगा ब्रह्म दोष
मान्यता है कि वनवास और रावण वध करके वापस आयोध्या जाते समय भगवान राम ने भारद्वाज मुनि के आश्रम जाकर उनसे आर्शीवाद मांगा था. तब भारद्वाज मुनि ने उनसे कहा कि आपने रावण का वध करके समस्त सृष्टि को रावण के अत्याचारों मुक्त कराया, लेकिन वह एक विद्वान और कर्मकांडी ब्राह्मण था. जिसका वध करने से आपको ब्रह्म दोष लगा है. इससे मुक्ति के लिए महर्षि भारद्वाज मुनि ने भगवान राम को कोटि शिव यानी एक करोड़ शिवलिंग की स्थापना करने को कहा था.

श्रीराम ने स्थापित किया शिवलिंग
मंदिर के पुजारी का कहना है कि भगवान राम ने भारद्वाज मुनि के आदेश पर गंगा नदी के किनारे कोटि शिव की स्थापना की, लेकिन एक करोड़ शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद उनको स्थान देने के लिए समस्त शिवलिंगों को एक ही शिवलिंग में स्थापित कर दिया गया. यह शिवलिंग आज भी उसी स्थान पर विद्यमान है और इसे शिवकुटी के नाम से जाना जाता है.


दर्शन मात्र से ही कट जाते हैं कष्ट

महाशिवरात्रि, मास शिवरात्रि और सावन के महीने के अलावा माघ मेला, अर्धकुंभ और कुंभ में प्रयागराज आने वाले श्रद्धालु शिवकुटि मंदिर में दर्शन करने जरूर आते हैं. मान्यता के अनुसार इनके दर्शन करने से ही सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं. भक्तों के मन की इच्छा पूर्ण करने वाले, कष्ट का निवारण करने वाले इस शिव मंदिर में लोग दूर-दूर से माथा टेकने चले आते हैं.

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