प्रयागराज:इंसानी जज्बे के सामने कुदरती लाचारी भी किस तरह बौनी हो जाती है. इसकी मिसाल हैं प्रयागराज के मोहम्मद आजाद. दोनों आंखों की रोशनी खोने के बावजूद आजाद पिछले 34 वर्ष से अपने परिवार की जीविका चला रहे हैं. आजाद बिना देखे ही ट्रक और बाइक के पंचर इतनी सफाई से बनाते हैं, जिसे देखने वाले भी हैरत में पड़ जाते हैं.
प्रयागराज का दारागंज मोहल्ला और मोहल्ले में सड़क किनारे बनी यह दो पहिया, चार पहिया, वाहनों के पंचर बनाने की दुकान. अब आप सोचेंगे कि इसमें कौन सी खास बात है, क्योंकि आमतौर पर हर शहर, गली, मोहल्लों में पंचर बनाने की दुकान देखी जा सकती है. लेकिन यह दुकान पास से गुजरने वाले हर शख्स का ध्यान अपनी तरफ खींचती है. इसकी वजह है इस दुकान के मालिक मोहम्मद आजाद का वह जज्बा, जो उन्हें आम लोगों से अलग करता है. दरअसल मोहम्मद आजाद को दिखाई नहीं देता, लेकिन इसके बावजूद भी वह चार पहिया वाहनों से लेकर बाइक, साइकिल तक के पंचर इतनी सफाई से बनाते हैं कि देखने वाले भी हैरत में पड़ जाएं.
34 साल पहले चली गई आंखों की रोशनी
मोहम्मद आजाद बताते हैं कि 34 साल पहले जब वह ट्रक का पंचर बना रहे थे, तभी ट्रक का टायर फट गया. उसकी चोट से उनकी आखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई. जिस पेशे से आजाद की आंखों की रोशनी छिन गई, उन्होंने उसी पेशे से अपने 8 सदस्यीय परिवार के पेट पालने का जरिया बना लिया.
पंचर की दुकान के सहारे की बच्चों की शादी