प्रयागराज: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रृंगवेरपुर की धरती से ही भगवान राम ने केवट की नाव में बैठकर गंगा नदी को पार किया था. आज उसी धरती पर गंगा के किनारे घाटों पर इतने शव दफना दिए गए हैं कि घाट पर चारों तरफ शव ही शव दिखाई दे रहे हैं. घाट पर शवों के दफन करने के बढ़ते हुए सिलसिले को रोकने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से घाट पर पुलिस के साथ-साथ जल पुलिस के जवानों को भी तैनात कर दिया गया है. घाट पर तैनात जवान अब आने वाले शवों का अंतिम संस्कार करा रहे हैं और किसी भी शव को नदी किनारे दफनाने नहीं दिया जा रहा है.
घाट पर किया गया कोरोना संक्रमित के शवों का अंतिम संस्कार
श्रृंगवेरपुर के इस घाट पर मंगलवार को जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो घाट पर कोरोना संक्रमित एक शव का भी अंतिम संस्कार किया जा रहा था. जबकि जिले में कोरोना कोरोना संक्रमितों के शव के अंतिम संस्कार के लिए फाफामऊ घाट तय किया गया है. उसके बावजूद कुछ लोग एक संक्रमित का शव लेकर श्रृंगवेरपुर घाट पर पहुंचे और पूजा-पाठ करके उसका अंतिम संस्कार किया. इस दौरान घाट पर मौजूद किसी भी पुलिसकर्मी ने कोरोना संक्रमित के शव का अंतिम संस्कार करने से नहीं रोका. मौके पर पहुंचे एसडीएम सोरांव अनिल चतुर्वेदी ने घाट पर कोरोना संक्रमित के शव का अंतिम संस्कार किए जाने से साफ इंकार कर दिया.
श्मसान घाट पर पुलिस का पहरा सैकडों की संख्या में घाट किनारे दफनाए गए हैं शव
श्रृंगवेरपुर घाट पर गंगा नदी के किनारे बीते एक महीने में इतने शव दफना दिए गए हैं कि वहां देखने पर चारों तरफ शव ही शव नजर आ रहे हैं. घाट का आलम यह है कि वहां जाने वाले भी इतने दफनाये हुए शवों को देखकर सहम जा रहे हैं. इस घाट पर जाने वालों का कहना है कि इससे पहले कभी इतनी बड़ी संख्या में शव न तो दफनाए गए हैं और न ही जलाए जाते थे. लोगों का कहना है कि इस घाट पर पहले इक्का दुक्का शव ही अंतिम संस्कार के लिए आते थे. लेकिन इन दिनों बड़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार भी इस घाट पर हो रहा है, जिस वजह से दिन रात घाट पर जलती हुई चिताएं दिखती हैं.
परम्परा और आर्थिक तंगी की वजह से भी दफनाए जा रहे हैं शव
श्रृंगवेरपुर घाट के आसपास रहने वालों का यह भी कहना है कि कुछ लोग तो शव दफनाने की परंपरा की वजह से शवों को दफनाने आते हैं, लेकिन बहुत से लोग आर्थिक तंगी की वजह से भी शवों का अंतिम संस्कार करने की जगह उनको गंगा किनारे घाट पर ले जाकर बालू में दफना देते हैं. इसके पीछे एक वजह लगभग महीने भर से सबकुछ बंद होने को भी बताया जा रहा है, क्योंकि रोज कमाने खाने वालों का कामकाज इन दिनों बंद हैं, ऐसे में बहुत से लोग आर्थिक तंगी की वजह से शव को लाकर गंगा किनारे दफना देते हैं.
घाट तक दो ट्रैक्टर से चिता के लिए लकड़ी पहुंचायी जा रही है
दो दिन से इस घाट पर शवों को दफनाए जाने पर रोक लगा दी गयी है, जिसके बाद से घाट पर अब बड़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. लगातार आने वाले शवों की चिता बनाने के लिए घाट तक लकड़ी पहुंचाने के लिए दो ट्रैक्टर लगाए गए हैं. इन दो ट्रैक्टरों की मदद से चिता के लिए लकड़ी घाट तक पहुंचायी जा रही है.
घाट का निरीक्षण करने पहुंचे एसडीएम सोरांव
घाट पर शवों के दफनाने पर रोक लगाने के बाद एसडीएम सोरांव अनिल चतुर्वेदी घाट पर पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने मौके पर तैनात जल पुलिस के जवानों को हिदायत दी कि घाट पर किसी को शव दफनाने न दिया जाए और सभी शवों का अंतिम संस्कार करवाया जाए. इस दौरान एसडीएम ने बताया कि शवों को नदी किनारे दफनाने से रोक गया है और सभी से शवों का अंतिम संस्कार करवाया जा रहा है. इसके साथ ही जिन लोगों के यहां शव दफनाने की परंपरा है, उनसे कहा जाता है कि वो अपने गांव में ही तय स्थान पर शवों को दफनाएं. वहीं बड़ी संख्या में घट पर दफनाये गए शवों के मामले पर एसडीएम का कहना है कि इस घाट प्रयागराज के अलावा दूसरे जिलों से भी लाकर शवों को दफनाया गया है, जिस वजह से इतनी संख्या में शव दफनाए गए हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह तर्क भी दिया कि एक महीने से इस घाट पर शवों को नहीं दफनाया जा रहा है. जबकि घाट पर मौजूद लोगों का कहना है कि सिर्फ दो दिन से शवों को दफनाने से रोका जा रहा है.