प्रयागराज: वर्ष 1962 युद्ध में भारतीय सैनिकों का मनोबल परास्त होना, अमेरिका द्वारा टीएल 4 अनाज बंद करने की धमकी और दक्षिण भारत में हिंदी भाषा को लेकर मूवमेंट आदि विदेशी शक्तियां भारत को तोड़ने की साजिश रची थी. उसी समय 'जय जवान जय किसान' का नारा देकर स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने पूरे भारत के किसानों और जवानों को जोड़कर मजबूत राष्ट्र का आधार रखा था. यह बातें बार एसोसिएशन बोर्ड ऑफ रेवेन्यू प्रयागराज के तत्वाधान में आयोजित संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कही. यहां उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के तैल चित्र का अनावरण भी किया.
सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि किसान खेतों में हल चलाता है तो कोई नहीं कहता किस जाति, किस धर्म का है. सब कहते हैं किसान है. चाहे वह यूपी, तमिलनाडू या पंजाब का हो. किसानों का कोई जाति, धर्म नहीं होता. जवान सरहद पर खड़ा होकर देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देता है तो कोई जाति और धर्म वहां नहीं होता. यहीं से 'जय जवान जय किसान' के नारे से प्रेरणा मिलती है, जहां पर कोई जाति, धर्म नहीं है.