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सरकारी दावे की खुली पोल: अस्पताल के एक बेड पर चार-चार बच्चों का हो रहा इलाज - disorder in prayagraj hospitals

कोरोना महामारी के बाद से देश भर में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करने की केंद्र व प्रदेश सरकार अपील कर रही हैं. लेकिन प्रयागराज के अस्पताल में एक बेड पर एक दो नहीं बल्कि चार बच्चों का एक साथ इलाज किया जा रहा है. अब इसका जिम्मेदार कौन है. प्रदेश सरकार कह रही है कि अस्पतालों में समुचित व्यवस्था है, और अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बेडों की संख्या कम होने से, एक बेड पर चार-चार बच्चों को भर्ती कर उनका इलाज किया जा रहा है.

दावों की खुली पोल
दावों की खुली पोल

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Published : Sep 7, 2021, 6:42 PM IST

प्रयागराज :उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में बेहतरीन इलाज व व्यवस्था का दावा करती है. लेकिन प्रयागराज के सरोजिनी नायडू चिल्ड्रन हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड को देखकर, आपको इन दावों की हकीकत का अंदाजा आसानी से लग जायेगा. इस हॉस्पिटल में एक बेड पर चार-चार बच्चों को भर्ती करके उनका इलाज एक साथ किया जा रहा है.

डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों की संख्या ज्यादा है और बेड कम हैं, जिस वजह से सभी को इलाज देने के लिए मजबूरी में एक बेड पर कई बच्चों को भर्ती करके उनका इलाज किया जा रहा है. यही नहीं, इन बेडों पर बच्चों में साथ उनकी मां को भी बैठना पड़ता है, क्योंकि ज्यादातर दुधमुंहे बच्चे हैं, जो बिना मां के रह नहीं सकते. इन सबके बीच डॉक्टर इन मासूमों का इलाज कर उनकी जिंदगी बचाने में जुटे रहते हैं.

सरकारी दावे की खुली पोल...


दरअसल, मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबंधित सरोजिनी नायडू चिल्ड्रन हॉस्पिटल में प्रयागराज के अलावा आसपास के दूसरे जिलों से भी बीमार बच्चे रेफर होकर आते हैं. ऐसे में इस अस्पताल में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज पहुचंते हैं. इस वजह से यहां की ओपीडी के साथ ही इमरजेंसी वार्ड में भी मरीज भर्ती होते रहते हैं. वहीं मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि उनका धर्म मरीज की जिंदगी बचाना है. मजबूरी में एक बेड पर कई बच्चों को एडमिट कर उनका इलाज करना पड़ता है. क्योंकि गम्भीर हालात में आने वाले मरीजों को बेड न होने की वजह से वापस कर देंगे तो बच्चों की जिंदगी जा सकती है. ऐसे में मरीज को वापस करने से बेहतर है, एक बेड पर दूसरे तीसरे बच्चे को एडमिट करके सभी का इलाज कर उन्हें स्वस्थ किया जाय.

बरसात के मौसम की वजह से बढ़ गए हैं मरीज

इस अस्पताल में हर साल बरसात के मौसम में इसी तरह से मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. जिसके बाद डॉक्टरों को मजबूरी के कारण एक बेड पर क्षमता से अधिक मरीजों को एडमिट करके इलाज किया जाता है. बरसात के दिनों में वायरल फीवर के साथ ही डेंगू-मलेरिया के मरीज बढ़ जाते हैं. इसी बीच लापरवाही के कारण बच्चे निमोनिया के शिकार हो जाते हैं, जिस वजह से ज्यादा बीमार बच्चों को भर्ती करके उनका इलाज करना पड़ता है. यही कारण है कि सरोजिनी नायडू चिल्ड्रन हॉस्पिटल में क्षमता से अधिक मरीजों को भर्ती करके इलाज किया जा रहा है.


महीने भर बाद जगा जिला प्रशासन

चिल्ड्रेन अस्पताल में बीमार बच्चे इलाज के लिए तड़प रहे हैं. अस्पताल के एक-एक बिस्तर पर तीन से चार बच्चों को भर्ती करके उनका इलाज किया जा रहा है. लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस ओर समय से ध्यान नहीं दिया. जब अस्पताल में बेड के लिए हाथापाई तक की नौबत आने लगी, तो जिला प्रशासन कुंभकर्णी नींद से जागा और डीएम ने सीएमओ समेत स्वास्थ विभाग के अफसरों के साथ बैठक की. जिसके बाद स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में बने 100 बेड के पीकू वार्ड को बुखार से तड़प रहे बच्चों के इलाज के लिए खोला गया.

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डीएम कमिश्नर ने बच्चों के वार्ड का किया उद्घाटन

स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए पीकू वार्ड बनाये गए थे. ऑक्सीजन समेत आधुनिक सुविधाओं से लैस इसी वार्ड को मंगलवार को बुखार निमोनिया से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए खोल दिया गया. कमिश्नर संजय गोयल और डीएम संजय कुमार खत्री ने इस वार्ड का उद्घाटन किया. चिल्ड्रेन अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को अब वहां से एसआरएन के लिए रेफर किया जा रहा है, जहां पर इन बच्चों को भर्ती कर उनका इलाज शुरू कर दिया गया है. फिलहाल 100 बेडों पर मरीजों को भर्ती करके इलाज किया जाएगा. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर और भी वार्ड शुरू कर दिए जाएंगे.

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