प्रयागराज: शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो गया है और श्रद्धालु माता को स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना कर रहे हैं. घरों और बाजारों में पूजा की रौनक साफ तौर पर देखी जा सकती है. इस पवित्र त्योहार के तीसरे दिन का पालन करेंगे, जो माता चंद्रघंटा को समर्पित है. और जो लोग नवरात्रि की तृतीया तिथि को उनकी पूजा करते हैं, उन्हें सभी बाधाओं, चिंताओं, दर्द आदि से छुटकारा मिलता है. माता के नौ अलग-अलग स्वरूपों की इन नौ दिनों में पूजा की जाती है. भक्त माता के दर्शनार्थ मंदिरों में जाते हैं और माता का आशीर्वाद लेकर उनसे अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करते हैं.
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. आज यानि 9 अक्टूबर को तीसरा नवरात्रि है. आज के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा को राक्षसों का वध करने वाली देवी कहा जाता है. मां चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार की अर्धचंद्र सुशोभित है और इसलिए इन्हें मां चंद्रघंटा के नाम से पूजा जाता है. मां चंद्रघंटा सिंह पर विराजमान हैं. और इनकी 10 भुजाएं हैं. कहा जाता है कि मां चंद्रघंटा की भक्तिभाव से पूजा करने से मां खुश होकर अपनी कृपा बरसाती हैं.
मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं. इनके चार हाथों में कमल का फूल, धनुष, माला और तीर हैं. पांचवें हाथ में अभय मुद्रा है. जबकि अन्य चार हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है. दसवां हाथ वरद मुद्रा में रहता है. मां चंद्राघंटा भक्तों का कल्याण करती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
पूजा- विधि
- सुबह उठकर स्नान करने के बाद पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि करें.
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
- मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें.
- मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं.
- धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें.
- मां को भोग भी लगाएं.
मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा में विशेष प्रकार का भोगा चढ़ाया जाता है. मां को मीठी खीर बेहद प्रिय है और इस दिन पूजा में गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं. इससे मां प्रसन्न होंगी और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाएंगी. यह भी कहा जाता है कि यदि इस दिन कन्याओं को खीर, हलवा या मिठाई खिलाई जाए तो मां प्रसन्न होती हैं.