प्रयागराज: विज्ञान परिषद को इलाहाबाद विश्वविद्यालय का भवन खाली करना पड़ेगा. भवन का व्यावसायिक इस्तेमाल करने के कारण परिषद को अब यह स्थान छोड़ना पड़ेगा. इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने 20 जून 2023 को एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा पारित प्रस्ताव के माध्यम से विज्ञान परिषद को भवन खाली करने का आदेश दिया था. इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. विज्ञान परिषद की याचिका पर न्यायमूर्ति मंयक त्रिपाठी और न्याय मूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई की.
विज्ञान परिषद की ओर से विश्वविद्यालय द्वारा जारी आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया था कि कोविड के दौरान आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए परिषद ने सीमित संख्या में विज्ञान परिषद की बिल्डिंग का व्यावसायिक इस्तेमाल किया था. साथ ही बिल्डिंग के एक हिस्से को किराए पर भी दिया गया था. विश्वविद्यालय द्वारा इस पर आपत्ति किए जाने के बाद सभी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियां बंद कर दी गई है. यह भी दलील दी गई कि विज्ञान परिषद ने अपना उद्देश्य और लक्ष्य नहीं बदला है. मात्र आर्थिक जरूरत को पूरा करने के उद्देश्य से भवन का व्यावसायिक इस्तेमाल किया गया.
यह भी कहा गया कि विश्वविद्यालय ने भवन खाली करने का आदेश देने से पूर्व परिषद को सुनवाई का कोई मौका नहीं दिया. ना ही 6 माह के भीतर भवन खाली करने के लिए कोई नोटिस दिया गया. जो कि 27 जनवरी 1953 को विश्वविद्यालय एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा पारित प्रस्ताव के तहत अनिवार्य है. कोर्ट का कहना था कि याची संस्था विज्ञान परिषद ने यह स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि संस्था के भवन में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की गई. जबकि उसे यह भवन मात्र विज्ञान संबंधी गतिविधियां संचालित करने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से उपलब्ध कराया गया था. इस स्थिति में विश्वविद्यालय एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा पारित प्रस्ताव में कोई अवैधानिकता नहीं है. कोर्ट ने विज्ञान परिषद की याचिका खारिज कर दी है.