प्रयागराज: उत्तर प्रदेश को यूं नहीं ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों में प्रमुख माना जाता है. यहां की नदियां, महल, गांव और शहर ही नहीं कुएं तक हजारों सालों से अपने अंदर एक इतिहास को समेटे हुए है. ऐसा ही एक कुआं है प्रयागराज जिले के झूंसी गांव में, जिसे समुद्र कूप के नाम से जाना जाता है. इतिहासकारों द्वारा दावा किया जाता है कि निर्माण से लेकर आज तक इसके अंदर पानी का स्तर न तो कम हुआ है और न ही ज्यादा. इस समुद्र कूप का निर्माण गुप्त वंश के शासक समुद्रगुप्त (350-375 ईसा पूर्व) ने करवाया था. समुद्रगुप्त ने अपने शासनकाल के दौरान भारत में कुल पांच कूपों का निर्माण करवाया था. झूंसी का कूप उन्हीं में से एक है.
इस समुद्र कूप की खास
समुद्र कूप के बारे में यह कहा जाता है कि इसके अंदर सात समुद्र का पानी आकर मिलता है. यही वजह है कि इसके पानी का स्वाद खारा है. जलस्तर में कमी न होने की एक बड़ी वजह यह भी है. इस कुएं को देखने के लिए कुंभ व माघ मेले में देश-विदेश से तो लोग यहां आते ही हैं. सामान्य दिनों में भी पर्यटक यहां घूमने आना पसंद करते हैं.
प्रचलित हैं समुद्र कूप की कई धारणाएं
महंत बिपिन बिहारी दास कहते हैं कि इसका जिक्र मत्स्य पुराण में भी आता है. सम्राट समुद्र गुप्त के कार्यकाल से भी इसे जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि समुद्र गुप्त ने अपने शासनकाल में ऐसे पांच कूप बनवाए जो प्रयागराज के अलावा मथुरा, वाराणसी, उज्जैन और पातालपुर (पाटलीपुत्र या पटना) में हैं. बताते हैं कि सभी कूप काफी गहरे हैं. झूंसी वाले कूप का व्यास करीब 22 फीट है. समुद्र कूप का पूरा परिसर करीब 12 फीट ऊंची चारदीवारी से घिरा है. समुद्र कूप की गहराई कितनी है कोई नहीं जानता है.