प्रयागराज: पिछले दिनों सोशल मीडिया पर गंगा तट पर दफन शवों की वायरल हुई तस्वीर से संत समाज दुष्प्रचार से नाराज हैं. संत समाज शवों को दफनाए जाने को पुरानी परंपरा बताई है. संतों का कहना है कि कोरोना से मरने वालों की संख्या को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन दफन शवों को पूरी तरह कोरोना से जोड़ना गलत है. इस पवित्र धाम को बदनाम किया जा रहा है. इससे संत समाज काफी नाराज है.
शव दफनाने की है पुरानी परंपरा
श्रृंगवेरपुर गंगा घाट के संत जितेन्द्र शांडिल्य गुरु ने कहा कि हमेशा से श्रृंगवेरपुर घाट पर प्रयागराज सहित अन्य जिलों से भी लोग शव का अंतिम संस्कार करने पहुंचते हैं. पिछले दिनों जब शवों की संख्या अधिक हुई तो लोगों को अंत्येष्टि करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लोग अंत्येष्टि के बजाय शवों को दफनाने लगे. घाट में दफनाने की कोई नई परंपरा नहीं है, यह सदियों पुरानी परंपरा चली आ रही है.
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