प्रयागराजःइलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पीसीएस 2020 में बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) के 105 पदों में से 10 ईडब्ल्यूएस पदों को कैरी फॉरवर्ड न करके रिजल्ट घोषित करने की मांग में दाखिल याचिका पर लोक सेवा आयोग से जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने अंकित गर्ग एवं तीन अन्य की याचिका पर अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी को सुनकर दिया है.
12 अप्रैल 2021 को पीसीएस 2020 की 487 सीटों के सापेक्ष 476 सीटों का परिणाम जारी किया गया था. याचिका में 12 अप्रैल 2021 को जारी पीसीएस 2020 परिणाम के साथ आए नोटिस को चुनौती दी गई है. इस नोटिस में कहा गया है कि योग्य अभ्यर्थी न मिलने के कारण सीडीपीओ की 11 सीटें कैरी फारवर्ड की जा रही हैं. याचिका के अनुसार 11 में से 10 सीटें ईडब्ल्यूएस से संबंधित थीं. एक सीट एससी कैटेगरी की रिक्त रह गई थी.
याचियों के अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी का कहना है कि यूपी ईडब्ल्यूएस अधिनियम 2020 की धारा 3(6) में प्रावधान किया गया है कि यदि किसी परीक्षा के लिए जारी विज्ञप्ति के तहत ईडब्ल्यूएस की सीटें किसी कारण खाली रह जाती हैं तो उन्हें सामान्य वर्ग के योग्य अभ्यर्थियों से भरा जाएगा, उन्हें कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जाएगा. लेकिन 10 ईडब्ल्यूएस सीटों का रिजल्ट अब तक नहीं जारी किया गया और न ही ये सीटें कैरी फॉरवर्ड हुई हैं. लोक सेवा आयोग ने यूपी ईडब्ल्यूएस एक्ट 2020 की धारा 3 (6) का खुला उल्लंघन किया है. अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी का कहना था कि सभी याचियों ने सामान्य वर्ग में मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार दिया है. वे सीडीपीओ पद की योग्यता भी धारण करते हैं. प्रावधान के अनुसार यदि सीडीपीओ की 10 ईडब्ल्यूएस सीटों का रिजल्ट कैरी फॉरवर्ड न करके जनरल कैटगरी के योग्य अभ्यर्थियों से भरा जाए तो याचियों का चयन हो जाएगा. गौरतलब है कि 21 अप्रैल 2020 को लोक सेवा आयोग ने पीसीएस 2020 के तहत विभिन्न विभागों के 487 पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें 105 पद सीडीपीओ के थे.
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