प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के एसआरएन हॉस्पिटल में चूहों के आतंक पर प्रकाशित खबर का स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले को पीआईएल के तौर पर दर्ज करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे उपायों की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने हॉस्पिटल के चीफ सुपरिटेंडेंट को एजेंसी के साथ किए गए कॉन्ट्रैक्ट से संबंधित दस्तावेज पेश करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें उस एजेंसी को भुगतान की गई राशि, एजेंसी द्वारा ऐसी समस्या से निपटने के लिए अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है.
साथ ही चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी खबर यह उजागर करती है कि चूहे किस हद तक अस्पताल में रखी दवाइयां और अन्य सामानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. यह टिप्पणी कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने एक अखबार में प्रकाशित खबर एसआरएन हॉस्पिटल में चूहे पी रहे ग्लूकोज, खा रहे है मल्टी विटामिन पर स्वतः संज्ञान लेते हुए की.
खबर में एसआरएन हॉस्पिटल के प्रमुख अधीक्षक डॉ अजय सक्सेना का बयान भी छपा है जिसमें उन्होंने यह स्वीकार किया है कि सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद खतरा व्याप्त है और इससे निपटने के लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि यह हॉस्पिटल आने वाले मरीजों और उन लोगों के लिए भी एक संभावित खतरा है जो पहले से वहां भर्ती हैं। उनके स्वास्थ्य को भी खतरा है. कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से इस मामले पर निर्देश प्राप्त करने और एसआरएन हॉस्पिटल के इस मामले को रिकॉर्ड में लेने के निर्देश दिए हैं.
सरकारी वकील ने बताया कि चूहों के आतंक को नियंत्रित करने का कार्य किया जा रहा है और इससे निपटने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं. एक हाउसकीपिंग एजेंसी ने भी हॉस्पिटल के चीफ सुपरिटेंडेंट को आश्वस्त किया है कि ऐसे खतरे को रोकने के लिए विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है. कोर्ट को यह भी बताया गया कि दवाओं का भंडारण ठीक से होता है. मरीजों के तीमारदार परिसर के अंदर खाने का सामान लाते हैं, उससे चूहे आते हैं. कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस तरह का बहाना न्यायालय को प्रभावित नहीं करता. कोर्ट ने कहा कि मामला सार्वजनिक महत्व का है. वहां लोग इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में इसका लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है.