प्रयागराज: कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास और डिजिटल पढ़ाई का क्रेज ज्यादा बढ़ा है. निजी स्कूलों के साथ सरकारी स्कूलों में भी ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है. छात्र और अभ्यर्थी किताबें खरीदने के बजाए डिजिटल पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में किताबों की बिक्री बहुत ही कम हो गई है. इस कारण बुक प्रकाशन उद्योग अब बंद होने की कगार पर है. बुक प्रकाशन के काम में लगे कई कामगार बेरोजगार हो गए हैं. शहर में करीब 500 किताबों की दुकानें है. वहीं 100 से अधिक बुक प्रकाशन उद्योग हैं.
किताबों की दुकानों पर पसरा सन्नाटा. किताब विक्रेताओं के अनुसार कोरोना के कारण किताब व्यवसायी सड़क पर आ गए हैं. कोरोना के कारण कोचिंग सेंटर बंद होने की वजह से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी वाली किताबें भी नहीं बिक रही हैं. मौजूदा समय में केवल 10 से 20 फीसदी ही किताबों की बिक्री हो रही है.
किताबों की बिक्री में आई 80 फीसदी की गिरावट
किताब पब्लिकेशन के कारोबारी संजय जायसवाल ने बताया कि कोरोना काल में किताबों की बिक्री और पब्लिकेशन के कामों में भारी गिरावट आई हैं. एक तरफ जहां प्रकाशन का काम ठप है. वहीं दूसरी ओर किताबों की बिक्री में 70 से 80 फीसदी की गिरावट आई है. मौजूदा समय में केवल 20 से 25 फीसदी का ही कोरोबार हो रहा है.
बंद होने की कगार पर प्रकाशन का काम
बुक प्रकाशन का काम करते वाले आशुतोष मिश्रा ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते प्रकाश का काम ठप होने की कगार पर है. स्कूल और काॅजेल बंद हैं, इसलिए किताबें नहीं बिक रही हैं. ऐसे में प्रकाशन का काम पूरी तरह से बंद पड़ा है. कर्मचारियों को वेतन देना अब मुश्किल हो गया है. अगर ऐसा ही चलता रहा, तो प्रकाशन का काम पूरी तरह से ठप हो जाएगा.
वहीं किताब विक्रेता अनूप तिवारी ने बताया कि कोरोना के कारण किताबों का व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है. ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने से छात्र किताबें खरीदने नहीं आ रहे हैं. कोरोना से पहले दिनभर में एक से दो हजार की बिक्री होती थी, लेकिन इस समय मुश्किल से 100 रुपये की ही किताबें बिक पा रही हैं.